Gosai Baba Ka mandir गोसाई बाबा का मंदिर
Gosai Baba Ka Mandir गोसाई बाबा का मंदिर :- गुसाई बाबा हमेशा से ही हिन्दुओ के देवता माने जाते है गुसाई बाबा का मंदिर प्रसिद एक मंदिर नागौर जिले के गाँव जुन्जाला में स्थित है गुसाई जी महाराज को मुस्लमान जाति भी मानते है एक समय राजा बलि इस धरती पर राज करता था। हमेशा से ही राज शासन रहा है यहाँ पे जिसके कारण रजा को अपनी प्रजा का ध्यान रखना पड़ता है राजा बलि ने अश्वमेघ यग्य और अग्नि होम किए। राजा के अपने महल मैं अनेक प्रकार के 11 यज्ञ संपन्न कर दिए। जिसका उदेश्य राजा अपने छेत्र मैं शान्ति प्रधान करना चाहता था राजा बलि का नाम चारो और फेलने लगा जिसके कारण राजा बलि बहुत प्रसन्न हो गया और वह इन्द्रलोक का राजा बनने की सोचने लगा। और महल के सभी दरबार के लोगो के साथ अच्छा कार्य को करवाने की सोचने लगा . राजा बलि ने 101वें यज्ञ का आयोजन रखा और इसके लिए निमंन्त्रण भेजे. नगरी के सभी राजाओ और रानियों को आमंत्रित पत्र भेजा जिससे सारी नगरी को इस अवसर के अनुरूप सजाया गया। और अनेक सभाओ का आयोजन रखा आस पास की सारी नगरी को न्योता दिया गया
राजा बलि और गोसाई बाबा के विचार और जीवन परिचय
राजा ने यह सोचा था की कई महल और राजसता के कारण कुछ ना कर बेठे और भगवान ने अपना एक नया रूप धारण किया और अपना शरीर के हिस्से को 42 अंगुल से भी बड़ा क्र दिया और राजा बलि के महल सामने अपना धुना लगा लिया और राजा बलि ने एक बहुत बड़ा यघ आरम्भ किया और राज दरबार के सेनिको और मंत्री गण को आमंत्रित किया और कहा गया की नगरी के सभी लोग यहाँ आये बिना न रहे राजा के सभी मंत्रियों को पता चला कि भगवान रूप वामन अपनी जगह पर उसी दिशा मैं बेठा था । सभी मंत्रियों के कहने पर वहा से नही आया और न ही जगह छोड़ क्र हिला । महल छोड़ कर राजा बलि खुद महाराज के पास जाकर भगवान से निवेदन करता है और भगवान बेस ने राजा से एक शर्त रखी राजा चिंता मैं पद गया और सोचने लगा की क्या है शर्त फिर राजा ने हामी भर ली और कहा की महाराज आपकी शर्त बताओ महाराज ने राजा से कहा की महल मैं तब चलू की मेरे पास 3 कदम जमीन मेरे घर के लिए होनी चाइये इतना सुन के राजा हसने लगता है और महाराज की शर्त मान लेता है
राजा बलि और महाराज के बिच बातचित
राजा बलि भगवान का वचन को सुन के अपना एक पैर इतना लम्बा किया की दो कदम (पांवडा) मैं पूरी दुनिया नाप ली और राजा बलि को बोलता है की तीसरा पांव कहा रखू इतना सुन के राजा बलि के शरीर से पसीना निकलना शुरू हो गया और चिंता जनक मैं पड़ गये और अंतिम निर्णय लेकर कहा की महाराज तीसरा पांव आप मेरे सर पर रख लो इतना सुन कर भगवान वेस तीसरा पांव राजा बलि के ऊपर रख दिया और राजा बलि को यम लोक भेज दिया
राजा बलि का घमंड चूर चूर
कहा करते है कि जब भगवान ने अपने अवतार मैं कोई कार्य करते है तो हलके मैं ना ले कुछ भी हो सकता है जैसे राजा बलि का हुआ था अपने घमंड के कारण जीवन से हाथ धो बैठे भगवान ने जब अपना कदम धरना शुरू किया तो पहला कदम मक्का मदीना में रखा गया था। जहाँ पे सभी अभी मुसलमान पूजा अर्चना करते हैं और हज करते हैं। दूसरा कदम कुरुक्षेत्र में रखा था जहां अभी पवित्र नहाने का सरोवर है। तीसरा पैर ग्राम जुन्जाला के राम सरोवर के पास रखा जहाँ आज मन्दिर है। तीर्थ राम सरोवर में हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग आते हैं। इस मंदिर यानि बाबा का दरबार के नाम से जाना जाता है हिंदू लोक मैं और इसे गुसांईजी महाराज भी कहा जाता है इस मंदिर मैं हर साल के भाती मेला लगता है और मुसलमान इसे बाबा कदम रसूल के नाम से जानते है इस मंदिर का रुतबा अजब का माना जाता है
राजा बलि का बहुत साल पुराना मंदिर
इस मंदिर का निर्माण बहुत सालो पुराना माना गया है जैसे कई शताब्दी से यहाँ पर हर साल एक तो नव रात्रा के पहले दिन चैत्र सुदी १ व २ को तथा दूसरा आसोज सुदी १ व २ को मेला लगता है। यहाँ पे अनेक राज्यों से जैसे राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों से यात्री आते हैं। और मंदिर के दर्शन पाते है बाबा के दरबार मैं ।
यात्रियों की मनत और जिज्ञासा
सुना है की यहाँ पे बाबा रामदेवजी के परिवार वाले भी यहाँ अपनी जात का जडूला चढाने जुन्जाला आया करते थे। यहाँ मन्दिर में एक पुराना जाल का पेड़ है जिसके नीचे बाबा रामदेवजी का जडूला उतरा हुआ है। इसलिए जो लोग रामदेवरा जाते थे वह सब यात्री जुंजाला आने पर ही उनकी यात्रा पूरी मानी जाती है। इसलिए भादवा और माघ के महीने में मेला लग जाता है। इस मंदिर मैं यात्री गण को रहने की सभी सुविधा मिल जाती थी कभी भी कोई समस्या का सामना नही करना पड़ा था
राजस्थान मैं प्रसिद मंदिर गोसाई बाबा का जयपुर मैं भी
अगर देखा जाये तो भगवान गोसाई बाबा का मंदिर राजस्थान के जयपुर से 17 किलोमीटर दुरी पर ग्राम घाटा ,मानगढ़ खोखावाला ,और दयारामपुरा के बिच एक विशालकाये पहाड़ी पर बना हुआ है इस मंदिर का निर्माण 100 वर्षो पहले एक बाबा के द्वारा किया गया था इस मंदिर के बारे मैं सोचा जाये तो बहुत कम है क्योंकि इस मंदिर होने से कभी भी आस पास के गाँवो मैं जानवरों और इन्शानो मैं किसी प्रकार की समस्या उत्पन नही हुई इस मंदिर मैं भगवान का धुना और मूर्ति स्थापित की गयी थी पहाड़ के ऊपर सतह पर बीचो बिच भगवान की मूर्ति है और उसी मूर्ति के ऊपर पहाड़ी पर भगवान गोसाई बाबा के पेरो के निशान बने हुए है जिसको (पगल्या ) के रूप मैं बोला जाता है हर साल के भाती इस साल भी मेले का आयोजन रखा था जिसमे अनेक राज्यों से लोग अपनी मनत लेके आते है और जडूला और शादी का घरजोड़ा (यह एक शादी के बाद की एक रस्म होती है ) देने आते है यह रिवाज बहुत सालो पहले से चलती आयी है इस मंदिर का कार्य (निर्माणाधीन ) बहुत संदर चल रहा है इस मंदिर मैं मकर सक्रांति के बाद जो अमावस्या के बाद जो दोज आती है उसका विशालकाय मेला लगता है मेले मैं उत्साह लेने के लिए बहुत गाँवो से आते है और शहरो से आते है