कृष्ण जन्माष्टमी
प्रदेश मैं धूम धाम से कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी:- हर साल की भाति इस बार भी भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी जोरों सोरो से चल रही है भगवान कृष्ण विष्णु भगवान का अठवा अवतार थे जिनका जन्म मथुरा की भूमि पर हुआ था भगवान विष्णु ने पृथ्वी को कंस के अत्याचार और आतंक से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। इसी कथा के अनुसार हर साल भाद्रपद की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व को धूम धाम से मनाया जा रहा है
जन्माष्टमी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद अपने घर के मंदिर को सजाएं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के सामने व्रत करने का संकल्प लें और श्री कृष्ण का झूला सजाने के साथ उनका श्रृंगार करें।इस दिन श्रीकृष्ण का बांसुरी, मोर मुकुट, वैजयंती माला कुंडल, कुंडली, तुलसी दल आदि से श्रृंगार किया जाता है।
जन्माष्टमी मनाने का कारण क्या है
भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अत्याचार और आतंक से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। इसी कथा के अनुसार हर साल भाद्रपद की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से अब तक जन्माष्टमी को धूम धाम से मनाया जाता है भागवत पुराण (जैसे रास लीला वा कृष्ण लीला) के अनुसार कृष्ण के जीवन के नृत्य-नाटक की परम्परा, कृष्ण के जन्म के समय मध्यरात्रि में भक्ति गायन, उपवास (व्रत), रात्रि जागरण और एक त्योहार (महोत्सव) अगले दिन जन्माष्टमी समारोह का एक भाग हैं।
मथुरा की नगरी में कंस के बहुत ज्यादा अत्याचार बढ़ गया था लोगों में भय हो गया कंस के नाम से कंस के बारे में किसी ने एक भविष्यवाणी की थी की तेरी मृत्यु आठवां पुत्र के हाथों से होगी भगवान कृष्ण के जन्म बहुत तेज वर्षा और चारों तरफ अंधेरा छा गया थाभविष्यवाणी सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव सहित उसे काल कोठरी में डाल दिया गयावध होने के डर से कंस ने देवकी के हर बच्चे को मार डाला कंस को डर था
कि मेरे मारने के बाद कौन मुझे मारेगा लेकिन एक दिन कृष्ण जी के जन्म पर जो आठवा पुत्र भगवान कृष्ण जी थे जिन्होंने कंस को मौत के घाट उतारा और अपने सारे भाई बहनों का बदला लिया
कृष्ण का अवतार होती देवकी और वसुदेव काल कोठरी द्वारा बेड़ियों स्वम खुल गई कोटरी के रक्षक गहरी नींद में सो रहे थे वासुदेव जी कृष्ण को यमुना नदी के पार गोकुल में अपने मित्र नन्द गोप के घर ले गया था और नंद की पत्नी जसोदा को एक कन्या उत्पन्न हुई थी
जिसकी जगह भगवान कृष्ण को सुला दिया और वसुदेव कन्या को लेकर वापस कोटरी मैं आ गया जब कंस को कन्या के जन्म का पता चला तो कंस ने उस कन्या को पटक पटक कर मार डाला लेकिन उस कन्या ने अन्तिम बात कंस को बोली की जिसके तू मारना चाहता है ना वो गोकुल में पहुंच गया अब तेरा काल निश्चित है
जन्माष्टमी धूम धाम से कहा मनाया जाता है
इस त्योहार को मथुरा के वृंदावन में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है कृष्ण जन्माष्टमी के उपरान्त त्योहार नंदोत्सव होता है, जो उस अवसर को मनाता है जब नंद बाबा ने जन्म के सम्मान में समुदाय को उपहार वितरित किए। जन्माष्टमी मटकी फोड़ने (दहि हांडी फोड़) का कार्यकम किया जाता है
जन्माष्टमी पर लोगो का उत्साह देखे
जन्माष्टमी के दिन जयपुर गोविंद देवजी के मंदिर परिसर मैं लोगो का आना जाना लग जाता हैयहा आकर लोग भगवान गोविंद देवजी के दर्शन करते है हिंदू जन्माष्टमी को उपवास गायन एक साथ प्रार्थना करने विशेष भोजन तैयार करने और साझा करने रात्रि जागरण और कृष्ण या विष्णु मंदिरों में जाकर मनाते हैं।
हर बार जन्माष्टमी बड़े धूम धाम से मनाई जाती है प्रमुख कृष्ण मंदिर भागवत पुराण और भगवद गीता के पाठ का आयोजन करते हैं।प्रदेश मैं धूम धाम से कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी उनके स्थानीय समुदायों द्वारा उत्साहित किया जाता है और ये नाटक-नृत्य नाटक प्रत्येक जन्माष्टमी से कुछ दिन पहले शुरू होते हैंकई समुदाय नृत्य-नाटक कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिन्हें रास लीला या कृष्ण लीला कहा जाता है।
यह शौकिया कलाकारों की कई टीमों द्वारा अभिनय किया जाता है रास लीला की परंपरा विशेष रूप से मथुरा क्षेत्र में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों जैसे मणिपुर और असम में और राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय है।
समारोह
कृष्ण जन्माष्टमी के उपरान्त त्योहार नंदोत्सव होता है, जो उस अवसर को मनाता है जब नंद बाबा ने जन्म के सम्मान में समुदाय को उपहार वितरित किए। इस अवसर पर सभी राजकीय संस्थान की छूटी रहती है हिन्दू धर्म मैं इस त्योहार को पूरे जोश से मनाते है
कृष्ण देवकी और वासुदेव आनकदुंदुभी के पुत्र हैं और उनके जन्मदिन को हिंदुओं द्वारा जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है, जन्माष्टमी हिंदू परंपरा के अनुसार तब मनाई जाती है जब माना जाता है कि कृष्ण का जन्म मथुरा में भाद्रपद महीने के आठवें दिन की आधी रात को हुआ था। कृष्ण का जन्म अराजकता के क्षेत्र में हुआ था। यह एक ऐसा समय था जब उत्पीड़न बड़े पैमाने पर था, स्वतंत्रता से वंचित किया गया था