सोमनाथ मन्दिर का इतिहास
Somnath Mandir Kaha Par Hai सोमनाथ मन्दिर का इतिहास-सोमनाथ मन्दिर गुजरात के शहर मैं बना हुआ है इसे शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है. सन 1955 की बात है जब सोमनाथ मन्दिर का पुनर्निर्माण पहली दिसंबर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। सोमनाथ मन्दिर को प्राचीन व ऐतिहासिक सूर्य मन्दिर का नाम है। आज के समय मैं आज भी भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है। यह मन्दिर हिंदी धर्म का प्रतिक माना जाता है क्योंकि इस मन्दिर की बनावट बहुत सुन्दर मानी जाती है सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
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सोमनाथ मंदिर किसका है
भारत का राज्य गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है। यह मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया। इस मन्दिर मैं कुछ अलग ही प्रकार की महक आती है इस मन्दिर का सारा खर्चा सोमनाथ मन्दिर परिसर उठाता है
सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण करने वाला कोन था
8 जनवरी १०२६ की बात थी जब महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था गजनवी नामक व्यक्ति ने करीब 5 हजार साथियों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला कर दिया था. गजनवी के 17 आक्रमण झेलने पर भी आज भी यु ही खड़ा है सोमनाथ मन्दिर लोगो का कहने था की सबसे पहले इस मन्दिर मैं एक मंदिर ईसा के पूर्व में अस्तित्व में था जिस जगह पर दूसरी बार मंदिर का पुनर्निर्माण सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया
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सोमनाथ का प्राचीन नाम क्या है
Somnath Mandir Kaha Par Hai गुजरात के वेरावल बदंरगाह से कुछ ही दूरी पर प्रभास पाटन में स्थित है। शिव महापुराण में सभी ज्योतिर्लिंगों के बारे बताया गया है। इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में मान्यता है कि सोमनाथ के शिवलिंग की स्थापना खुद चंद्रमा ने की थी। चंद्र के द्वारा स्थापना की जाने की वजह से इस शिवलिंग का नाम सोमनाथ पड़ा
यात्रियों के लिए विश्रामशाला
इस स्थान पर तीर्थयात्रियों के लिए गेस्ट हाउस, विश्रामशाला व धर्मशाला की व्यवस्था है। साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं। वेरावल में भी रुकने की व्यवस्था है।
सोमनाथ मन्दिर कैसे पहुचे
सड़क मार्ग – सोमनाथ जयपुर से 1091 किलोमीटर, मुंबई 892 किलोमीटर, अहमदाबाद 410 किलोमीटर, भावनगर 266 किलोमीटर, जूनागढ़ 85 और पोरबंदर से 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध है।
वायु मार्ग- सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से सीधे मुंबई के लिए वायुसेवा है। केशोड और सोमनाथ के बीच बस व टैक्सी सेवा भी है।
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