लाल किले के बारे मैं जानकारी
लाल किले के बारे मैं जानकारी lal kile ke bare main jankari:- हिन्दुस्थान मैं दुनिया का सबसे दिल्ली के ऐतिहासिक बड़ा लाल किला बना हुआ है इस किले मैं हर दिवार लाल रंग से बनी हुई है ये किला दिल्ली का सबसे पहला नगर माना जाता है। तोमर वंश के शासन के बाद 12 वीं सदी में यहाँ पृथ्वीराज ने शासन किया था। जो की चौहान वंश के वंशस थे। पृथ्वीराज चौहान ने इस किला का नाम बदल कर किला राय पिथौरा नाम दिया था। सन 1192 में हुए तराएन का युद्ध में पृथ्वीराज चौहान मुहम्मद गोरी से युद्ध में हार चुके थे। तथा मुहम्मद गोरी ने इस किले पर शासन करने के लिए अपने एक प्रमुख दस को चुना था। जिसका नाम कुतुबुद्धीन ऐबल था। कुतुबुद्धीन ऐबल ने दिल्ली की सल्तनत में 1206 में दास वंश की स्थापना की। इस किले को लाल किला इसकी दीवारों के लाल-लाल रंग के कारण कहा जाता है। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष २००७ में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था। भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किला देश की आन-बान शान और देश की आजादी का प्रतीक है।
लाल किले का रहस्य lal kile ka rahasya
इस किले का निर्माण 1060 में राजा अनंग पाल द्वारा किया गया था। जो की तोमर शासन के राजा माने जाते थे। इतिहास के अनुसार दिल्ली के दक्षिणी इल्लाको के सूरज कुंड के निकट तोमर वंश शासनकाल चलता था। प्राचीन इतिहासकारों और लेखको के अनुसार लाल किले का वास्तविक नाम लालकोट था। लाल कोट का अर्थ है लाल रंग का किला जिसे पुरे विश्व में लाल किले के नाम से जाना जाता है। इस किले मैं बहुत से कलाकारों ने अपनी अपनी कलाकारी दिकाई थी जिसका लोगो मैं किले को देखने की रूचि जायदा दिखी
जो की चौहान वंश के वंशस थे। पृथ्वीराज चौहान ने इस किला का नाम बदल कर किला राय पिथौरा नाम दिया था। सन 1192 में हुए तराएन का युद्ध में पृथ्वीराज चौहान मुहम्मद गोरी से युद्ध में हार चुके थे। तथा मुहम्मद गोरी ने इस किले पर शासन करने के लिए अपने एक प्रमुख दस को चुना था।जिसका नाम कुतुबुद्धीन ऐबल था। कुतुबुद्धीन ऐबल ने दिल्ली की सल्तनत में 1206 में दास वंश की स्थापना की।कुतुबुद्धीन द्वारा वहा के रोड जाति के लोगो पर अत्याचार कर उनसे बादली हड़प ली थी। जो की रोड़ो का गढ़ माना जाता था। कुतुबुद्धीन ऐबल के जिसने सुल्तानों का शासनकाल यहाँ प्रारंभ किया थाउसने क़ुतुब मीनार का निर्माण करवाया था जो सुल्तानों के शासनकाल की निशानी है। उसने हिन्दू मंदिरों और इमारतों को तुड़वाकर वहा मुस्लिम क्षेत्रो का निर्माण किया। लालकोट में स्थित ध्रुव स्तम्भ को क़ुतुब मीनार बना दिया, और कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण करवाया था ।लाल किले की व्यवस्था और साज-सजा की देख – रेख मुग़ल शासको की शिरोबिंदु रही है।
लाल किले रचना lal kile ki rachna
1648 ईसवी में बने इस भव्य किले के अंदर एक बेहद सुंदर संग्रहालय भी बना हुआ है। करीब 250 एकड़ जमीन में फैला यह भव्य किला मुगल राजशाही और ब्रिटिशर्स के खिलाफ गहरे संघर्ष की दास्तान बयां करता हैं। वहीं भारत का राष्ट्रीय गौरव माने जाना वाला इस किले का इतिहास बेहद दिलचस्प है
भारत के सभी पर्यटकों में घुमने हेतु सरकार द्वारा पर्यटकों से शुल्क लिया जाता है। तथा उसी प्रकार लाल किला घुमने के लिए भी शुल्क निर्धारित किया गया है। लाल किला घुमने के लिए स्वदेशी और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धिरित किये गये है। भारतीय पर्यटकों के लिए एक टिकट का शुल्क 35 रुपये रखा गया है।
और विदेशी पर्यटकों के लिए 500 रुपये शुल्क लिया जाता है। लाल किले में अन्य लाइट एंड सांउड शो के यंग और बुजुर्गो को 60 रूपये और बच्चो के लिए 20 रूपये देंने पड़ते है। ये शुल्क छुट्टियों के समय बढ़ा दिया जाता है। इस समय बड़े-बुजुर्गो के लिए 80 रूपये शुल्क और बच्चो के लिए 30 रूपये कर दिए जाते है।
ये भारत का ऐतिहासिक किला है। ये किला भारत की राजधानी दिल्ली के बीचो-बीच बना हुआ है। दिल्ली भारत देश का प्रमुख विकसित शहर और केंद्र है। इसलिए पर्यटकों को यहाँ हवाई मार्ग की सुविधा भी सरलता से मिल जाती है। लाल किला घुमने के हम हवाई जहाज के द्वारा भी जा सकते है। दिल्ली में अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा बना हुआ है। इसलिए देश-विदेश के सभी पर्यटकों के लिए हवाई जहाज की सुविधा उपलब्ध है। एअरपोर्ट से लाल किला जाने के लिए कैब और टेक्सी की सर्विस भी पाई जाती है।
जिससे लोग आसानी से लाल किला पहुच जाते है। और वहा के प्राचीन काल के सुन्दर और शानदार महलो एवं किलो का परिक्षण कर सकते है। अपने भारतीय इतिहास को जानने का अवसर प्राप्त करते है। लाल किले की अन्य जानकारी भी आपको बता देते है, कि ये दिल्ली के चाँदनी चौक के मेट्रो स्टेशन के पास ही स्थित है। ये किला मेट्रो स्टेशन से केवल 10 मिनट की दुरी पर है।\पैदल चलकर भी आसानी से किले तक जाया जा सकता है। लेकिन इस बीच हमे दिल्ली के भीड़-भाड वाले बाज़ार से गुजरना पड़ता है। मेट्रो से लाल किला कैसे जा सकते हैं
यह शाही किला मुगल बादशाहों का न सिर्फ राजनीतिक केन्द्र है बल्कि यह औपचारिक केन्द्र भी हुआ करता था, जिस पर करीब 200 सालों तक मुगल वंश के शासकों का राज रहा। देश की जंग-ए-आजादी का गवाह रहा लाल किला मुगलकालीन वास्तुकला, सृजनात्मकता और सौंदर्य का अनुपम और अनूठा उदाहरण है।