रक्षा बंधन का त्योहार
Raksha Bandhan रक्षा बंधन का त्योहार :- भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है हिन्दू धर्म के अनुसार रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है. इस त्योहार में बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती है और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं. वहीँ भाई भी अपनी बहन की रक्षा के लिए वचन देता है.
रक्षाबन्धन का त्योहार कब मनाया जाता है Raksha Bandhan
यह एक हिन्दू व जैन त्योहार है जो प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है।
रक्षाबन्धन का त्योहार की प्रतिक्रिया Raksha Bandhan
सबसे पहले एक थाली मैं राखियो को सजाया जाता है बहिन के द्वारा थाली मे राखी , हल्दी या रोली ,चावल ,मिठाई रखी जाती है घर मैं सबसे पहले राखी भगवान के स्थान पर रखी जाती है Raksha Bandhan फिर बाद मैं अपने भाई के तिलक ओर चावल लगा कर दाहिने कलाई पर राखी बांधी जाती है उसके बाद बहिन के हाथ से भाई को मिठाई खिलाई जाती है ओर भाई भी बहिन को अपने हाथ से मिठाई खिलाई जाती है दोनों अपनी लंबी उम्र की दुआ करती है !
रक्षाबन्धन का त्योहार कब से चला
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार हजारों साल राखी बांधने का प्रचलन शुरू हुआ था। सबसे पहली राखी या रक्षासूत्र राजा बलि को बांधा गया था। उन्हें मां लक्ष्मी ने रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया था। राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा में तीन पग जमीन मांगी।
भगवान ने दो पग में ही पूरी धरती नाप डाली और फिर तीसरा पग देने के लिए तब राजा बलि से कहा। इस पर राजा बलि समझ गया कि वामन रूप में दिख रहा यह भिखारी कोई साधारण भिखारी नहीं है। तीसरे पग के रूप में राजा बलि ने अपना सिर भगवान विष्णु के आगे झुका दिया। इससे भगवान विष्णु राजा बलि की भक्ती से प्रसन्न हो गए और वरदान मांगने को कहा।
कि काफी दिन तक भगवान स्वर्गलोक वापस नहीं पहुंची तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधा और अपना भाई बनाया। मां लक्ष्मी ने राजा बलि से उपहार स्वरूप अपने पति भगवान विष्णु को मांग लिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। तब से अभी तक तक बहनें अपने भाई राखी बांधती हैं और इसके बदले भाई से रक्षा का बचन लेती हैं।
रक्षाबन्धन का त्योहार पर मार्केट उत्साह
जैसे ही राखी का त्योहार नजदीक आता है तो मार्केट मैं एक उत्साह सा जाग जाता है दुकाने सज जाती है नए कपड़े पकवान के लिए अलग अंदाज के समान खरीद ने मार्केट जाते है बाजारों में फैंसी और आकर्षक डिजाइनर राखियों की डिमांड बहुत जादा है पूरे देश में रंग-बिरंगी और आकर्षक राखियों से बाजार सजने लगे हैं.
महंगाई के बावजूद बाजार में स्टोन, जरकन और मेटल की राखी, कलावा के साथ रुद्राक्ष, कई तरह की फैंसी राखी, भगवानों में गणेश और लक्ष्मी जी की राखी की डिमांड ज्यादा है. ये राखियां बाजार में 15-20 रुपये से लेकर 200-3000 रुपये तक उपलब्ध रहती है.
सावन मास की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस त्योहार को लेकर बहनों में खासा उत्साह रहता है