काश हम भी तितली होते,
हमारे भी रंग-बिरंगे पंख होते।
हम भी आसमान पर छा जाते,
हम भी फूलों पर मंडराते।
तितली आई, तितली आई,
रंग-बिरंगी तितली आई।
सीखो
फूलों से तुम हँसना सीखो,
भंवरों से नित गाना।
वृक्षों की डाली से सीखो,
फल आए झुक जाना।
सूरज की किरणों से सीखो,
जगना और जगाना।
लता और पेड़ो से सीखो,
सबको गले लगाना।
दूध और पानी से सीखो,
मिल जुलकर सबसे रहना।
अपनी प्रिय पृथ्वी से सीखो,
हँस हँस सब कुछ सहना।
नटखट बच्चे
हम है बच्चे,
हे हम थोडे-से कच्चे।
बोलने में हम सच्चे,
लोग मानते हमे पक्के।
पानी में हम खेलते है,
धूप में भी हम खेलते है।
तंग आकर माँ-बाप डाँटते है,
पर हमे न किसी-का फिखर है।
खेलना हमारा जिवन,
शरारत ही हमारा कर्म।
भोले-भाले है हम यार,
तंग करने-से होता है प्यार।
आपस में हम मिलकर रहते,
खेलते-कुदते हँसते-हँसते।
जब कोई हमे डराते,
तब हम जोर-जोर से रोते।
अच्छे बच्चे
कहना हमेशा बड़ो का मानते माता पिता को शीश नवाते, अपने गुरुजनों का मान बढ़ाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते। नहा-धोकर रोज शाला जाते पढ़ाई में सदा अव्वल आते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
कभी न किसी से झगड़ा करते बात हमेशा सच्ची कहते, ऊंच-नीच का भाव न लाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
कठिनाइयों से कभी न घबराते हमेशा आगे ही बढ़ते जाते, मीठी बातों से सबका मन बहलाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
बच्चों की कविता
पापा जी का डंडा गोल,
मम्मी जी की रोटी गोल,
नानी जी की ऐनक गोल,
नाना जी का पैसा गोल,
बच्चे कहते लड्डू गोल,
मैडम कहतीं दुनिया गोल।
मौसी और खिलौने
गौरव की मौसी आई,
गिनकर चार खिलौने लाई।
गौरव दौड़ा-दौड़ा आया,
पूड़ी और कचौड़ी लाया।
मम्मी
परीलोक की कथा-कहानी हँसकर मुझे सुनातीं मम्मी, फूलों वाले, तितली वाले गाने मुझे सिखातीं मम्मी।