आगरा के ताजमहल की जानकारी
Tajmahal Ki Jankari Hindi Main ताजमहल की जानकारी हिंदी मैं :- आगरा के ताजमहल का निर्माण पांचवे मुग़ल सम्राट शाहजहां ने करवाया था ताजमहल का निर्माण वर्ष 1631 में शुरू हुआ था.
राजमिस्त्री, पत्थरबाज़, जड़ने वाले, बढ़ई, चित्रकार, सुलेखक, गुंबद बनाने वाले और अन्य कारीगर पूरे साम्राज्य और मध्य एशिया और ईरान से भी मौजूद थे,लेकिन क्या कभी आपने सोचा ताज महल किसने बनाया अगर आपको इस सवाल का जवाब नहीं पता तो कोई बात नहीं क्योंकि इस सवाल का जवाब हम इस पोस्ट में देने जा रहे है. ताज महल आज दुनिया भर में इतना प्रसिद्ध है की लोग देश-विदेशों से इसे देखने आते है.
यह बात सन् 1631 की है जब मुग़ल बादशाह शाहजहां हिन्दुस्तान की सरज़मीं पर अपनी बेग़म मुमताज़ महल की मृत्यु का मातम मना रहे थे. उनका प्यार आर्किटेक्चर के लिए भी काफी था इसलिए वो कुछ ऐसा बनाना चाहते थे
ताजमहल का नजारा taj mahal ka najara
ताजमहल को बनाने में लगभग 22 साल लग गए जितना समय, 1000 हाथी और 20,000 कारीगरों ने सहायता की. ऐसा माना जाता है
की ताज महल को बनाने के लिए लगभग 70 बिलियन रुपए खर्च हुए. यदि वर्तमान मुद्रा में बदला जाए तो इससे भी अधिक हो सकता है जमहल को देखने प्रत्येक वर्ष 20 से 40 लाख लोग आते है, जिसमें से 200,000 से अधिक विदेशी होते है अधिकतर पर्यटक यहाँ अक्टूबर, नवंबर एवं फरवरी के महीनों में आते है. इसका उद्देश्य दुनिया भर के 200 स्मारकों में से सबसे श्रेष्ठ स्मारक का पता लगाना था. विजेता घोषित करने के लिए वोटिंग हुई जिसमे 10 करोड़ से भी ज्यादा लोगो ने अपने मनपसंद स्मारक के लिए वोट किया. 7 जुलाई 2007 को को विजेता घोषित हुआ जिसमे से एक ताज महल भी था.
शहजहां और मुमताज का मकबरा Shahjaha Or Mumtaj Ka Makbra
इसे शाहजहां और मुमताज का मकबरा माना जाता है दुनिया भर में ताजमहल को प्रेम का प्रतीक माना जाता है,
लेकिन कुछ इतिहासकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। इतिहासकार पुरुषोत्तम ओक ने अपनी पुस्तक में लिखा हैं कि शाहजहां ने दरअसल,
वहां अपनी लूट की दौलत छुपा रखी थी इसलिए उसे कब्र के रूप में ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज के लिए बनवाया था। वह मुमताज से प्यार करता था।
बेगम को बाद में दफनाया गया था
शाहजहां के दरबारी लेखक मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी ने अपने ‘बादशाहनामा‘ में मुगल शासक बादशाह का संपूर्ण वृत्तांत 1000 से ज्यादा पृष्ठों में लिखा है जिसके खंड एक के पृष्ठ 402 और 403 पर इस बात का उल्लेख है कि शाहजहां की बेगम मुमताज-उल-मानी जिसे मृत्यु के बाद बुरहानपुर (मध्यप्रदेश) में अस्थाई तौर पर दफना दिया गया था और इसके 6 माह बाद तारीख 15 मदी-उल-अउवल दिन शुक्रवार को अकबराबाद आगरा लाया गया फिर उसे महाराजा जयसिंह से लिए गए आगरा में स्थित एक असाधारण रूप से सुंदर और शानदार भवन (इमारते आलीशान) में पुनः दफनाया गया। लाहौरी के अनुसार राजा जयसिंह अपने पुरखों की इस आलीशान मंजिल से बेहद प्यार करते थे, पर बादशाह के दबाव में वे इसे देने के लिए तैयार हो गए थे। इस बात की पुष्टि के लिए यहां यह बताना अत्यंत आवश्यक है कि जयपुर के पूर्व महाराज के गुप्त संग्रह में वे दोनों आदेश अभी तक रखे हुए हैं, जो शाहजहां द्वारा ताज भवन समर्पित करने के लिए राजा जयसिंह को दिए गए थे।
ताजमहल किसकी याद में बनवाया था
ताज महल सच में इतना सुंदर है। ताजमहल शाह जहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की मृत्यु हो जाने के बाद उनकी याद में बनवाया था। ताजमहल का नाम उनकी पत्नी के नाम पर ही रखा गया था। शाहजहाँ की 14 संताने थीं और 14 वीं संतान की जन्म प्राप्ती के समय ही मुमताज की मृत्यु हो गई। ताजमहल आगरा में स्थित है। ताजमहल को सात अजूबों में से एक माना जाता है। यह दुनिया का सातवां अजूबा है। ऐसा कहा जाता है कि जब ताजमहल बनकर पूरा हुआ था तो यह देखने में बहुत ही आकर्षक तथा बहुत ही सुंदर लगा तो शाह जहाँ ने ताजमहल बनाने वाले सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिये थे ताकि वे कभी भी आगे चलकर भविष्य में इस तरह का दूसरा कोई और ताजमहल न बना सके।
ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। सन् १९८३ में, ताजमहल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना। इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है।