रत्न नाथ मंदिर
रत्न नाथ मंदिर फालियावास बस्सी :- आज हम रत्न नाथ मंदिर फालियावास बस्सी के बारे मेँ बात करते है इस मंदिर की नीव बहुत पुरानी रखी गयी , इस पवित्र स्थान पे भगवान रत्न नाथ जी बसे हुये है भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर दोनों देशो की धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक सम्बन्धों की प्रगाढ़ता की निशानी है। हर साल यहां चैत्र नवरात्र में नेपाल से बाबा रतननाथ की ऐतिहासिक शोभायात्रा आती है जो देवीपाटन मंदिर पर आकर खत्म होती है।
इस साल भी यह यात्रा न केवल भारत-नेपाल के लिए बल्कि सात समन्दर पार रहने वाले लोगों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र बनी। इस यात्रा में सैकड़ों विदेशी भी शामिल हुए।
कौन थे बाबा रतननाथ
51 शक्तिपीठों में से एक देवीपाटन शक्तिपीठ की देशभर में बहुत मान्यता है। देवीपाटन मंदिर के महंत मिथिलेश नाथ के मुताबिक इस मंदिर की स्थापना बाबा रतननाथ ने ही की थी। वह देवी के अन्नय भक्त थे। इसके अलावा बाबा रतननाथ बाबा गोरक्षनाथ के भी शिष्य थे। गोरक्षनाथ ने बाबा रतननाथ को एक अक्षयपात्र दिया था।
इसी अक्षयपात्र को हर साल नेपाल से देवीपाटन मंदिर में बड़ी धूमधाम से लाया जाता है। यह सिलसिला विक्रम संवत 809 से शुरू हुआ था। शोभायात्रा प्रति वर्ष चैत्र नवरात्र के पंचमी के दिन शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है। बताया जाता है कि बाबा रतननाथ आठ प्रकार के सिद्धियों के स्वामी थे।
उन्होंने विश्व भ्रमण के दौरान मक्का-मदीना में मोहम्मद साहब को भी ज्ञान दिया था। तब मोहम्मद साहब बाबा रतननाथ से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने बाबा रतननाथ को पीर की उपाधि दी। इसलिए इन्हें सिद्ध पीर बाबा रतननाथ के नाम से जाना जाता है।
नेपाल के पुजारी संभालते हैं कमान
शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ के शिष्य रतननाथ की पूजा से मां पाटेश्वरी इतनी प्रसन्न हुई कि इनसे वरदान मांगने को कहा। तब रतननाथ ने कहा माता मेरी प्रार्थना है कि यहां आपके साथ मेरी भी पूजा हो। देवी ने उन्हें मनचाहा वरदान दे दिया। तभी से मां पाटेश्वरी मंदिर प्रांगण में रतननाथ का दरीचा कायम है।
दरीचे में चैत्र नवरात्रि की पंचमी से लेकर एकादशी तक रतननाथ बाबा की पूजा होती है। इनकी पूजा के दौरान घंटे व नगाड़े नहीं बजाए जाते है। मां पाटेश्वरी की पूजा सिर्फ रतननाथ जी के पुजारियों द्वारा ही की जाती है। शोभायात्रा के साथ आए पुजारी पांच दिनों तक मंदिर के पुजारियों को विश्राम देकर पूजा की कमान खुद संभालते हैं।
रत्न नाथ मंदिर फालियावास बस्सी ratan nath mandir bassi
आज हम रत्न नाथ मंदिर फालियावास बस्सी के बारे मेँ बात करते है इस मंदिर मैं बहुत से श्रद्धालु आते है अपनी -अपनी मनत के साथ गाँव वाले इस मंदिर की पूजा अर्चना करते है इस मंदिर की कमान अभी तक गाँव वालों ने संभाल रखी यह मंदिर नहर के किनारे बना हुआ है यहा सवामनी (sawamani) भी की जाती है रत्न नाथ बाबा के प्रसाद भी चढ़ाया जाता है इस मंदिर के आस पास बहुत सारे मंदिर ओर गाँव है जैसे रामसर पालावाला, मानगढ़ खोखावाला, बस्सी , आदि मंदिर है .