History of Dilwara Jain Temple दिलवाडा जैन मंदिर का इतिहास

By | June 22, 2022
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जैन मंदिर ,देलवाडा

 

History of Dilwara Jain Temple दिलवाडा जैन मंदिर का इतिहास :- दिलवाड़ा मंदिर या देलवाडा मंदिर, पाँच मंदिरों का एक समूह है। ये राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित हैं। इन मंदिरों का निर्माण ग्यारहवीं और तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था दिलवाड़ा के मंदिर और मूर्तियां मंदिर निर्माण कला का उत्तम उदाहरण हैं यह शानदार मंदिर जैन धर्म के र्तीथकरों को समर्पित हैं बाईसवें र्तीथकर नेमीनाथ को समर्पित ‘लुन वासाही मंदिर’ भी काफी लोकप्रिय है। यह मंदिर 1231 ई. में वास्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाईयों द्वारा बनवाया गया था

 

दिलवाडा मंदिर किसने बनवाया था |

इन मंदिरों का निर्माण ग्यारहवी और तेहरवी शताब्दी के दोरान राजा वास्तुपाल तथा तेजपाल नामक दो भाइयो ने करवाया था | दिलवाडा के मंदिरों में ‘विमलशाही मंदिर ‘प्रथम तीर्थकर को समर्पित सर्वधिक प्रसिद्ध है जो 1031 ई.में बना था |

विमल शाह कौन था

यहाँ स्थित पांच मंदिरों में से पहला मंदिर विमल वसही 11वी. सदी में गुजरात के राजा के मंत्री वोमल साह ने बनवाया था ,जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है | जबकि दुसरे मंदिर लूना वसही को 13वीं सदी में गुजरात के दो भाइयो , वास्तुपाल ओर तेजपाल ने बनवाया था |

दिलवाड़ा का मंदिर कहाँ स्थित है

दिलवाड़ा मंदिर, या देलवाडा मंदिर , पांच मंदिरो का समूह है | ये राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित है | इन मंदिरों का निर्माण ग्याह्र्वी और तेहरवी शताबदी के बिच हुआ थायह शानदार मंदिर जैन धर्म के र्तीथकरों को समर्पित हैं।

माउंट आबू क्यों प्रसिद्ध है

माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हील स्टेशन है | यह अपनी प्राक्रतिक सुन्दरता ,आरामदायक जलवायु , हरी -भरी पहाडियों ,निर्मल -झीलों वास्तुशिल्पीय दृष्टि से सुन्दर मंदिरों और अनेक धार्मिक स्थानों के लिए प्रसिद्ध है |

उत्तर -मध्यकालीन मंदिर शिल्पकला का चरमोत्कर्ष आबू पर्वत स्थित देलवाडा के जैन मंदिरों में देखा जा सकता है | यह राजस्थान -गुजरात की सोलंकी (चालुक्य ) शिल्पकला शेली के प्रमुख नमुने कहे जा सकते है |

जैन मंदिर का परिचय

यहाँ स्थित जैन मंदिरों में दो मंदिर प्रमुख पहला मंदिर प्रथम जियन तीर्थकर ऋषभदेव का है | इसे 1031 ई. में गुजरात के चालुक्य शाशक भीमदेव के मंत्री विमलसाह ने बनवाया था | इस मंदिर को विमलशाही के नाम से भी जाना जाता है | दूसरा मुख्य मंदिर 22 वे. जैन तीर्थकर नेमिनाथ का है

जिसका निर्माण वास्तुपाल और तेजपाल द्वारा 1230 ई. में करवाया था | इस मंदिर को लूणवसाही के नाम से भी जाना जाता है | ए मंदिर में मंडप ,स्थम्भो ,छतरियो तथा वेदियो के निर्माण में श्वेत पत्थर पर बारीकी से खुदाई की गई है | इस मंदिर के रंग -मण्डप व नवचोकी की कळत कलात्मकता अद्भुत है |

महावीर स्वामी मंदिर

महावीर स्वामी जैन धर्म 24वें तीर्थंकर थे। यह मन्दिर 1582 में बनी एक छोटी सी संरचना है जो भगवान महावीर को समर्पित है। छोटा होने के कारण यह दीवारों पर नक्काशी से युक्त एक अद्भुत मंदिर है। इस मन्दिर के ऊपरी दीवारों पर चित्र सिरोही के कलाकारों द्वारा 1764 में चित्रित किया गये हैं।

हर साल धार्मिक महत्व की इस तीर्थ-यात्रा पर हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। यह प्राचीन मंदिर अपने आकर्षक आकर्षण से पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। ऐसा माना जाता है कि जो कारीगर संगमरमर का काम पूरा करते थे उन्हें एकत्र किए गए धूल के अनुसार भुगतान किया जाता था जिससे वे और अधिक परिष्कृत डिजाइन तैयार करते थे।

 

भगवान महावीर का जैन मंदिर बाड़ा पदमपुरा जयपुर मैं भी स्थित हैं जो बहुत विशालका्य आकार में फेला हुआ है यहाँ पे बहुत भक्त आते है मंदिर मैं जैन मंदिर मे बहुत लोग रहते भी है इस मंदिर की बात करे तो बहुत कम है

जैन मंदिर को और किन नामो से जाना जाता है
इस मंदिर को लूणवसाही के नाम से भी जाना जाता है

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