श्री तिरुपति बालाजी मन्दिर
Shri Tirupati Balaji Mandir तिरुपति बालाजी मन्दिर आज हम बात करे तो हिन्दू धर्म मैं सबसे बड़ा मन्दिर तिरुपति बालाजी का माना जाता है यहाँ देवता श्री वैंकटेश्वर मंदिर (विष्णु) की वजह से प्रसिद्ध है यहाँ इस मन्दिर को देखने लाखो भक्त आते है इस मन्दिर मैं दूर – दूर से ऑनलाइन चढावा (पेसे ) आता है इस मन्दिर की बनावट बहुत सुन्दर है इस मन्दिर की ऊंचाई जमीन से ३२०० फीट तिरुमाला की पहाड़िया पर भगवान श्री वैंकटेश्वर का बना हुआ है तिरुपति मन्दिर दक्षिण दिशा भारतीय वास्तुकला के अनुसार बना हुआ है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। प्रभु वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु अवतार ही है। ऐसा माना जाता है कि प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक सरोवर के किनारे निवास किया था।
श्री तिरुपति बालाजी का इतिहास
इस मन्दिर का निर्माण 9वीं शताब्दी से प्रारंभ होता है, जब काँचीपुरम के शासक वंश पल्लवों ने इस स्थान पर अपना आधिपत्य स्थापित किया था इस मन्दिर की चर्चा दूर दूर तक फेल गयी थी इस मन्दिर की कमान हातीरामजी मठ के महंत ने संभाला था जहा तक की बात करे तो 1933 में इस मंदिर का प्रबंधन मद्रास सरकार ने अपने हाथ में ले लिया और एक स्वतंत्र प्रबंधन समिति ‘तिरुमाला-तिरुपति’ के हाथ में इस मंदिर का प्रबंधन सौंप दिया। आंध्रप्रदेश ने अपनी समिति का पुनर्गठन किया और एक प्रशासनिक अधिकारी को आंध्रप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया गया। इस मन्दिर विकाश करवाने और सहयोग के कार्यो को बढावा दिया ताकि मन्दिर परिसर मैं कोई कमी न रहे
तिरुपति मन्दिर मैं शदालू की मन की बात वर्णन
इस मन्दिर मैं आने वाले प्रतेक व्यक्ति के मन सबसे बड़ी इच्छा भगवान वैंकटेश्वर के दर्शन करने की होती है। प्रतेक दिन लाखो की संख्या मैं श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों की लंबी कतारें देखकर अनुमान लगाया जा सकता है की इस मन्दिर मैं भीड़ कितनी लगती है इस मन्दिर के पास बहुत से छोटे – छोटे मन्दिर बने हुए है
मन्दिर की ऊंचाई
इस मन्दिर पर चढ़ने के लिए मन्दिर परिसर ने अलग से तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम नाम से बनाया गया है इस मार्ग से मन्दिर की और आगे बढ़ने के लिए पक्का निर्माण क्र रखा है
मन्दिर का निर्माण कब हुआ था
तिरुपति बालाजी मन्दिर का निर्माण 300 ईसवी में पुरा हुआ था इस मन्दिर को जायदा समय नही लगा था बनाने मैं इस मन्दिर को बहुत सारे कारीगरो ने मिलकर बनाया था तिरुपति ट्रस्ट ने सम्राट और राजा समय-समय पर अपने विकास के लिए नियमित योगदान करते थे।
तिरुपति बालाजी मन्दिर की उत्त्पति कैसे हुई
प्राचीन समय से राजा महाराजा की चर्चा सुनी होगी एक बार महर्षि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही उन्होनें शेष नाग शैय्या पर योगनिद्रा में लेटे भगवान विष्णु को लात मारी। और भगवान विष्णु ने तुरंत भृगु के पैर पकड़ लिए और कहा कि आपके पैर में चोट तो नहीं आई। क्योंकि भगवान विष्णु पुर्थ्वी के रचेता माने जाते है इसके बाद ऋषि ने भगवान विष्णु से कहा कि आप ही हैं जो इतने शांत और सहनशील हैं। आपके जैसे मैं आज तक कोई नही देखा ।
तिरुपति बालाजी मन्दिर सम्पति कितनी है
दुनिया का सबसे धनी मन्दिर तिरुपति बालाजी है इसकी पूरी सम्पति 1.30 लाख करोड़ 14 हजार कर्मचारी रोज़ काम करते है तिरुपति बालाजी ने राम मन्दिर के लिए 1 अरब रुपये दान दिए
जयपुर से तिरुपति बालाजी कैसे पहुचे
इस स्टेशन से तिरुपति की दूरी महज 10 किलोमीटर ही है। ट्रेन जयपुर से शुक्रवार रात 9:40 बजे रवाना होती है ।
अगर आप तिरुपति बालाजी मन्दिर को देखने का प्लान बना रहे है तो लोकेशन पर क्लिक करे आपको तिरुपति बालाजी मन्दिर तक पहुचाने मैं सहयता प्रधान करेगा
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