BADRINATH DHAM KI SACHAI बद्रीनाथ धाम की सचाई उतराखंड

By | December 16, 2021
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1. BADRINATH DHAM KI SACHAI बद्रीनाथ धाम की सचाई उतराखंड

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BADRINATH DHAM KI SACHAI बद्रीनाथ धाम की सचाई उतराखंड :- बद्रीनाथ अथवा बद्रीनारायण मन्दिर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है
जिसका निर्माण ७वीं-९वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं। मन्दिर के नाम पर ही इसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी बद्रीनाथ ही कहा जाता है।
भौगोलिक दृष्टि से यह स्थान हिमालय पर्वतमाला के ऊँचे शिखरों के मध्य, गढ़वाल क्षेत्र में, समुद्र तल से ३,१३३ मीटर (१०,२७९ फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है। जाड़ों की ऋतु में हिमालयी क्षेत्र की रूक्ष मौसमी दशाओं के कारण मन्दिर वर्ष के छह महीनों (अप्रैल के अंत से लेकर नवम्बर की शुरुआत तक) की सीमित अवधि के लिए ही खुला रहता है।

यह भारत के कुछ सबसे व्यस्त तीर्थस्थानों में से एक है; २०१२ में यहाँ लगभग १०.६ लाख तीर्थयात्रियों का आगमन दर्ज किया गया था।

2. बद्रीनाथ की सचाई

बद्रीनाथ मन्दिर में हिंदू धर्म के देवता विष्णु के एक रूप “बद्रीनारायण” की पूजा होती है। यहाँ उनकी १ मीटर (३.३ फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने ८वीं शताब्दी में समीपस्थ नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। यह मन्दिर उत्तर भारत में स्थित है, रावल” कहे जाने वाले यहाँ के मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य के नम्बूदरी सम्प्रदाय के ब्राह्मण होते हैं। जिसे बाद में “श्री बद्रीनाथ तथा श्री केदारनाथ मन्दिर अधिनियम” के नाम से जाना जाने लगा।

वर्तमान में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा नामित एक सत्रह सदस्यीय समिति दोनों, बद्रीनाथ एवं केदारनाथ मन्दिरों, को प्रशासित करती है।  विष्णु पुराण, महाभारत तथा स्कन्द पुराण जैसे कई प्राचीन ग्रन्थों में इस मन्दिर का उल्लेख मिलता है। आठवीं शताब्दी से पहले आलवार सन्तों द्वारा रचित नालयिर दिव्य प्रबन्ध में भी इसकी महिमा का वर्णन है।   बद्रीनाथ नगर, जहाँ ये मन्दिर स्थित है, हिन्दुओं के पवित्र चार धामों के अतिरिक्त छोटे चार धामों में भी गिना जाता है और यह विष्णु को समर्पित १०८ दिव्य देशों में से भी एक है।

एक अन्य संकल्पना अनुसार इस मन्दिर को बद्री-विशाल के नाम से पुकारते हैं और विष्णु को ही समर्पित निकटस्थ चार अन्य मन्दिरों – योगध्यान-बद्री, भविष्य-बद्री, वृद्ध-बद्री और आदि बद्री के साथ जोड़कर पूरे समूह को “पंच-बद्री” के रूप में जाना जाता है।

ऋषिकेश से यह २९४ किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। मन्दिर तक आवागमन सुलभ करने के लिए वर्तमान में चार धाम महामार्ग तथा चार धाम रेलवे जैसी कई योजनाओं पर कार्य चल रहा है।

3. राजस्थान से बद्रीनाथ की दूरी कितनी है

राजस्थान से बद्री नाथ की दुरी 21 hr 37 min (939.7 km) via NH 7 है इस स्थल को तीर्थ स्थल माना जाता है जिसमे दर्शन करने लोग बहुत दूर दूर से आते है इस मदिर मनोकामना पूर्ण होती है

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BADRINATH KI DURI RAJASTHAN SE

4. बद्री नाथ तीर्थ धाम की कहानी पढे

हिमालय में स्थित बद्रीनाथ क्षेत्र भिन्न-भिन्न कालों में अलग नामों से प्रचलित रहा है। स्कन्दपुराण में बद्री क्षेत्र को “मुक्तिप्रदा” के नाम से उल्लेखित किया गया हैजिससे स्पष्ट हो जाता है कि सत युग में यही इस क्षेत्र का नाम था।

त्रेता युग में भगवान नारायण के इस क्षेत्र को योग सिद्ध और फिर द्वापर युग में भगवान के प्रत्यक्ष दर्शन के कारण  इसे “मणिभद्र आश्रम” या विशाला तीर्थ कहा गया है।

पौराणिक लोक कथाओं के अनुसार, बद्रीनाथ तथा इसके आस-पास का पूरा क्षेत्र किसी समय शिव भूमि (केदारखण्ड) के रूप में अवस्थित था। जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई, तो यह बारह धाराओं में बँट गई तथा इस स्थान पर से होकर बहने वाली धारा अलकनन्दा के नाम से विख्यात हुई।

मान्यतानुसार भगवान विष्णु जब अपने ध्यानयोग हेतु उचित स्थान खोज रहे थे, तब उन्हें अलकनन्दा के समीप यह स्थान बहुत भा गया।
नीलकण्ठ पर्वत के समीप भगवान विष्णु ने बाल रूप में अवतार लिया, और क्रंदन करने लगे। उनका रूदन सुन कर माता पार्वती का हृदय द्रवित हो उठा, और उन्होंने बालक के समीप उपस्थित होकर उसे मनाने का प्रयास किया, और बालक ने उनसे ध्यानयोग करने हेतु वह स्थान मांग लिया। यही पवित्र स्थान वर्तमान में बद्रीविशाल के नाम से सर्वविदित है।

5. बद्रीनाथ मैं मेला आयोजन

बद्रीनाथ मन्दिर में आयोजित सबसे प्रमुख पर्व माता मूर्ति का मेला है, जो मां पृथ्वी पर गंगा नदी के आगमन की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान बद्रीनाथ की माता की पूजा की जाती है, जिन्होंने, माना जाता है कि, पृथ्वी के प्राणियों के कल्याण के लिए नदी को बारह धाराओं में विभाजित कर दिया था।

जिस स्थान पर यह नदी तब बही थी, वही आज बद्रीनाथ की पवित्र भूमि बन गई है। बद्री केदार यहाँ का एक अन्य प्रसिद्ध त्यौहार है,   जो जून के महीने में बद्रीनाथ और केदारनाथ, दोनों मन्दिरों में मनाया जाता है। यह त्यौहार आठ दिनों तक चलता है, और इसमें आयोजित समारोह के दौरान देश-भर से आये कलाकार यहाँ प्रदर्शन करते हैं।

5. बद्रीनाथ धाम की चढ़ाई कितनी है

जी हा बद्रीनाथ की चढ़ाई यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ नामक चार तीर्थ-स्थल हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से चार धाम के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ लगभग 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां से जुड़ी धार्मिक मान्यता है कि, मंदिर में जाने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है

6. बद्रीनाथ में कौन सा देवता है

यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनन्दा नदी के तट पर स्थित है। कुछ ऐसे प्रमाण मिलते हैं जिससे यह कहा जा सकता है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं-9वीं सदी में हुआ था। मंदिर के आस-पास जो नगर बसा हुआ है  उसे बद्रीनाथ ही कहा जाता है। यहां पर विष्णु भगवान के एक रूप बद्रीनारायण की प्रतिमा स्थापित है

7. बद्रीनाथ में शंख क्यों नहीं बजाया  जाता

मां लक्ष्मी को शंखचूड़ राक्षस का स्मरण न हो, इस कारण यहां शंख नहीं बजाया जाता है

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BADRI NATH DHAN IN UTRAKHAND

8. भारत में चार धाम कहाँ कहाँ है

भारत में चार धाम उज्जैन. ये चार धाम चार दिशाओं में स्थित है यानी उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका पुरी। प्राचीन समय से ही ये चार धाम तीर्थ के रूप मे मान्य थे, लेकिन इनके महत्व का प्रचार जगत गुरु शंकराचार्य जी ने किया था

9. किसने की चारों धामों की स्थापना

माना जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा मौजूदा मंदिर को बनवाया था। बद्रीनाथ मंदिर के बारे में भी स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में वर्णन मिलता है। बद्रीनाथ मंदिर के वैदिक काल (1750-500 ईसा पूर्व) भी मौजूद होने के बारे में पुराणों में वर्णन है

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