रामदेव जी बाबा की जीवन शेली
Birth and Time Introduction of Ramdev Baba रामदेव बाबा का जन्म एवं काल परिचय :- राजस्थान के तंवर वंशीय अजमालाजी और मैंणादे के पुत्र रामदेवजी का जन्म भाद्रपद शुक्ल द्वितीया विक्रम संवत् 1409 (1352 ईस्वी) में बाड़मेर जिले की शिव तहसील के ऊडूकासमेर गाँव में हुआ | इनकी माता का नाम मैणादे देवी था | इन्हे मल्लीनाथजी के समकालीन मान जाता है |
बालपन मे ही इन्होने पोकरण क्षेत्र मल्लीनाथजी से प्राप्त करने के पश्चात वहा भैरव नामक क्रुर व्यक्ति का अंत करके अराजकता एवं आतंक खत्म किया |इनका विवाह अमरकोट के दलजी सोढा की पुत्री नेतलदे के साथ हुआ था |
अपनी भतीजी को पोकरण में दे देने के बाद इन्होने रामदेवरा (रुनेचा ) गाँव बसाया और वही 1458 ई. में भाद्र्पद शुक्ल एकादशी को जीवित समाधी ले ली | यहाँ भाद्र्पद शुक्ल द्वितीया को विशाल मेला लगता है |
सांप्रदायिक सदभाव इस मेले की मुख्य विशेषता है | रुणिचा के पीर बाबा रामदेव का निधन सन 1442 (33 वर्ष) में हुआ | बाबा रामदेवजी मुस्लिमों के भी आराध्य हैं और वे उन्हें रामसा पीर या रामशाह पीर के नाम से पूजते हैं। रामदेवजी के पास चमत्कारी शक्तियां थी
तथा उनकी ख्याति दूर दूर तक फैली। रामदेवरा मेले में बहुत दूर -दूर से लोग मेले में आते है और बाबा के दर्शन पाकर खुश हो जाते है
समाधी
बाबा रामदेव ने अपनी भतीजी को पोकरण में दे देने के बाद इन्होने रामदेवरा (रुनेचा ) गाँव बसाया और वही 1458 ई. में भाद्र्पद शुक्ल एकादशी को जीवित समाधी ले ली | यहाँ भाद्र्पद शुक्ल द्वितीया को विशाल मेला लगता है |
रामदेव जयंती
रामदेव जयंती, अर्थात् बाबा का जन्मदिवस प्रतिवर्ष उनके भक्तों द्वारा सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है। यह तिथि हिन्दू पंचांग के भाद्र्पद माह के शुक्ल की दूज पर पड़ती है। इस दिन राजस्थान में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है
रामदेवरा के मंदिर में एक अंतर प्रांतीय मेले का आयोजन होता है जिसे “भादवा का मेला” कहते हैं। इस मेले में देश के हर कोने से लाखों हिन्दू और मुस्लिम श्रद्धालु यात्रा करते हुए पहुंचते हैं तथा बाबा की समाधि पर नमन करते हैं |