Baccho Ki Kahani Hindi Main बच्चो की कहानी  हिंदी में  

By | March 10, 2022
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बच्चो की कहानी  हिंदी में  

 

Baccho Ki Kahani Hindi Main बच्चो की कहानी  हिंदी में  

Baccho Ki Kahani Hindi Main बच्चो की कहानी  हिंदी में

सर्दियों की छुट्टियां चल रही थीं। उसी बीच बंटी के दोस्त एल्विन लॉरेंस का जन्मदिन पड़ा। एल्विन के पापा जोसेफ लारेंस शहर के माने हुए व्यापारी थे। बंटी शेरू को लेकर उसकी बर्थडे पार्टी में गया।
एल्विन का बंगला बहुत बड़ा था। इस बंगले में उसके दो चाचा उनका परिवार, एक बुआ, दादा दादी, एल्विन के मम्मी पापा और उसकी बहन कुल मिला कर चौदह लोग रहते थे। बंगला बड़ा होने के साथ बहुत सुंदर भी था।
यह बंगला एल्विन के दादा एल्डेन लॉरेंस ने बनवाया था। बंगला बनवाते समय उन्होंने इस बात का खयाल रखा था कि उसमें उनकी आने वीली पीढ़ियां भी एक साथ रह सकें।
बंगले का नाम बेथ-बराह था। बंगले के सामने के हिस्से में सुंदर सा लॉन था। इसके बीच में एक फव्वारा लगा था। लॉन में कई प्रकार के फूलों के पौधे थे।
बैकयार्ड में आम के दो पेड़ थे। गर्मी के मौसम में बंटी ने भी इन पेड़ों के मीठे आम खाए थे। बंटी पहले भी एल्विन के घर आ चुका था। पर आदित्य, सायरस, जेम्स, शहज़ाद, सचिन, मंजीत, रौनक, आर्यन और नील ऐसे दोस्त थे जो पहली बार एल्विन के घर आए थे। वह बंगले को बहुत चाव से देख रहे थे।
जब सब लोग बंगले को देख चुके तब सबको हॉल में ले जाकर बैठाया गया। कुछ ही देर में केक काटा गया। केक कटने के बाद सबको बंगले के बैकयार्ड में ले जाया गया। वहाँ एक बॉन फायर था। सभी उसके चारों तरफ एक लंबा गोला बना कर कुर्सियों पर बैठ गए।
पार्टी का संचालन एल्विन का चचेरा भाई स्टीवन कर रहा था। स्टीवन उससे दो साल बड़ा था। उसने ही बॉन फायर बर्थडे पार्टी का इंतज़ाम किया था। सबके बैठने के बाद स्टीवन बोला।
“दोस्तों आज हम हमारे प्यारे एल्विन का जन्मदिन मनाने के लिए इकठ्ठे हुए हैं। आज हम मिल कर खूब मज़ा करेंगे। हममें से हर कोई जो करना चाहे हमारे प्यारे एल्विन के लिए करे। शुरुआत मैं करूँगा। आप लोगों को एक सुंदर सा गाना सुनाऊँगा।”
स्टीवन अपना गिटार लेकर बैठ गया। उसने एक बहुत ही मशहूर बॉलीवुड का गाना गाया। सब उसका गाना बहुत ध्यान से सुन रहे थे। बंटी के पास बैठा शेरू भी एकदम शांत था। स्टीवन ने अपने गाने से समा बांध दिया।
स्टीवन के बाद हर किसी ने अपनी मर्ज़ी से जो आता था कर के दिखाया। आदित्य व शहज़ाद ने भी गाना गाया। जेम्स और आर्यन ने डांस किया। नील ने ताश के पत्तों का जादू दिखाया। रौनक और सचिन ने मिल कर एक स्किट किया। सायरस चुटकुलों का बादशाह था। उसने अपने चुटकुलों से सबको हंसा कर लोटपोट कर दिया। मंजीत ने कई बॉलीवुड सितारों की मिमिक्री कर के दिखाई। बंटी ने भी दोस्ती पर लिखी अपनी एक कविता सबको सुनाई।
बैकयार्ड में केवल बच्चे ही थे। बड़े बस दूर से इस बात का ध्यान रख रहे थे कि बच्चे सुरक्षित पार्टी मना सकें। बच्चों ने जी भर कर धमाल किया। उसके बाद सबने डिनर किया।
इस बात की संभावना थी कि पार्टी में सबको देर हो जाएगी। अतः लॉरेंस परिवार की तरफ से बच्चों के घर वालों को इस बात का आश्वासन दिया गया कि उन्हें पार्टी के बाद घर पहुँचा दिया जाएगा। अतः डिनर के बाद बच्चों को पहुँचाने का इंतज़ाम हो गया।
सब बच्चों को लॉरेंस परिवार की निजी लग्ज़री बस में बैठाया गया। यह बस लॉरेंस परिवार की पारिवारिक यात्राओं के लिए प्रयोग होती थी। एल्विन और स्टीवन भी बच्चों के साथ बैठ गए। सब बच्चे सुरक्षित घर पहुँच गए यह सुनिश्चित करने के लिए लॉरेंस परिवार की हॉउस कीपर मिसेज़ अलाना भी बस में बैठ गईं।
जब बस चल दी तब आदित्य बोला।
“यार एल्विन क्या शानदार बस है। तुम लोगों की अपनी है।”
“हाँ जब कभी पूरा परिवार एक साथ घूमने जाता है तब इसी बस में जाते हैं।”
सब लोगों को वह बस बहुत पसंद आई। शहज़ाद बोला।
“यार हमारी छुट्टियां चल रही हैं। पर कहीं घूमने नहीं जा सकते हैं। कभी मम्मी को काम कभी डैडी को। दोनों को छुट्टी ही नहीं मिलती है।”
बाकी लोगों ने भी हाँ में हाँ मिलाई। जेम्स बोला।
“काश हम सब मिल कर कहीं घूमने चल सकते। कितना मज़ा आता।”
एल्विन उसकी बात का मतलब समझ गया। वह बोला।
“मैं अपने ग्रैंडपा और डैड को मनाने की कोशिश करता हूँ। अगर वह मान गए तो हम इसी बस से शहर के बाहर जो पुराना किला है वहाँ पिकनिक पर चलेंगे।”
सबको यह विचार बहुत पसंद आया। तय हुआ कि पहले एल्विन अपने घर में पूँछ ले। अगर वो मान गए तो सब लोग अपने घरवालों को मना लेंगे।
सबकी बात सुन कर बंटी बोला।
“मैं तो तभी जाऊँगा जब तुम लोग शेरू को भी साथ ले चलने को तैयार हो।”
स्टीवन बोला।
“शेरू के बिना तो हम तुम्हारे बारे में सोंचते ही नहीं हैं।”
“बिल्कुल वैसे जैसे लैला के साथ मजनू का नाम आता है। बंटी के साथ शेरू का।”
मंजीत की इस बात पर सब ठहाका लगा कर हंसने लगे। मिसेज़ अलाना जो बहुत गंभीर बैठी थीं भी हल्के से मुस्कुरा दीं।
एल्विन ने अपनी तथा अपने दोस्तों की इच्छा अपने पापा को बताई। पहले तो उन्होंने मना किया। पर एल्विन के ज़िद करने पर बोले।
“एक शर्त पर जा सकते हो। सबके मम्मी पापा अपनी रज़ामंदी मुझे दें। दूसरा तुम लोगों के साथ मिसेज़ अलाना भी जाएंगी।”
सब बच्चों ने अपने घरवालों को मना लिया। सबके मम्मी पापा ने मिस्टर जोसेफ को अपनी रज़ामंदी दे दी। तय हुआ कि अगले रविवार को सब पुराने किले पर पिकनिक के लिए जाएंगे। प्लान के हिसाब से सब सही समय पर एल्विन के घर पहुँच गए। बंटी भी शेरू के साथ पहुँच गया था।
सबके बैठते ही बस चल दी। बंटी ने अपने बैग से एक डब्बा निकाला। उसमें बेसन के लड्डू थे। सिद्दिकी आंटी ने चलते समय उन लोगों के खाने के लिए दिए थे। सबने मन भर कर लड्डू खाए। उसके बाद उन लोगों ने बस में धमाल करना शुरू किया। मिसेज़ अलाना ने कई बार उन्हें डांटा। कुछ देर के लिए सब शांत हो जाते। उसके बाद फिर शुरू हो जाते थे। करीब दो घंटों की ड्राइव के बाद वह लोग किले पर पहुँच गए।
बस से उतरते ही मिसेज़ अलाना ने उन लोगों को निर्देश दिया।
“खूब मौज मस्ती करो। लेकिन एक दूसरे के साथ रहना। कुछ भी ऐसा ना करना जिससे मुसीबत में पड़ो।’
सबने मिसेज़ अलाना के निर्देश पर सहमति जताई।
किला पहाड़ी के ऊपर था। उसके चारों तरफ घना जंगल था। उसी जंगल के एक हिस्से में पिकनिक स्पाट बनाया गया था। इसमें हिरनों के लिए एक पार्क था। जहाँ हिरनों को कुलांचे भरते देखना बहुत अच्छा लगता था। इसके अलावा वहाँ एक रेस्त्रां भी था। सर्दियों का मौसम होने के कारण वह स्थान लोगों से भरा था।
बच्चे बहुत देर तक किले को देखते रहे। वहाँ मौजूद एक गाइड उन्हें किले के बारे में बड़ी रोचक जानकारियां दे रहा था। यह एक पुराना किला था। जिसे करीब ढाई सौ वर्ष पहले वहाँ के एक स्थानीय राजा ने बनवाया था।
किले के पास एक बड़ी सी झील थी। इस झील में बोटिंग की भी सुविधा थी। बच्चों ने वहाँ जी भर कर बोटिंग की। शेरू को भी वहाँ बड़ा मज़ा आ रहा था। ताकी वह अकेला महसूस ना करे बंटी उसके साथ भी खेल रहा था। बंटी इस बात का ध्यान रख रहा था कि शेरू कहीं इधर उधर ना हो जाए।
किले में घूमने तथा बोटिंग करने के कारण सभी थक गए थे। सायरस बोला।
“भाई अब तो पेट में चूहे कूद रहे हैं। अब चल कर इत्मिनान से बैठ कर खाना खाते हैं।”
शहज़ाद और मंजीत ने उसकी बात का समर्थन किया। सबने बैठने के लिए एक अच्छी सी जगह चुनी। आदित्य, जेम्स और एल्विन को काम सौंपा गया कि वह बस से चटाइयां व खाने का सामान लेकर आएं। सारा सामान आ जाने पर रौनक और आर्यन ने मिल कर चटाइयां बिछाईं। बंटी नील और सचिन मिसेज़ अलाना की खाना परोसने में सहायता करने लगे।
सब बैठ कर खाने का मज़ा लेने लगे। सभी अपने घर से कुछ ना कुछ लाए थे। मिसेज़ अलाना ने सबमें सारी चीज़ें बराबरी से बांट दी थीं।
खाना खाने के बाद सभी आराम करने लगे। स्टीवन अपने साथ हारमोनिका लाया था। उसने अपने हारमोनिका पर गाना बजा कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कुछ देर सबने अंताक्षिरी खेली। उसके बाद सब अपने अपने हिसाब से जो मन में आया करने लगे। बंटी, एल्विन, जेम्स, सायरस और स्टीवन आपस में बातें करने लगे। सचिन अपने इयरफोन लगा कर गाने सुनने लगा। आदित्य, नील, शहज़ाद और आर्यन लूडो खेलने लगे। मंजीत और रौनक चटाई पर लेट कर आराम करने लगे।
मंजीत का दिमाग लेटे हुए बार बार किले के पिछले हिस्से की तरफ जा रहा था। जब वो लोग किले में घूम रहे थे तो वहाँ पिछले हिस्से को तारों की बाड़ बना कर अलग कर दिया गया था। गाइड ने बताया था कि दो सालों से उधर जाने की मनाही है। उस हिस्से में एक तालाब था। उसमें बहुत सी काई और कूड़ा जमा हो जाने के कारण दलदल सा बन गया था। लोगों में मान्यता थी कि उसमें सिक्का डाल कर जो भी इच्छा की जाए पूरी हो जाती थी। अतः इच्छा पूरी करने के लिए लोग उसमें सिक्का डालने जाते थे। इस चक्कर में एक दो लोग उसमें डूब गए थे। अतः उस हिस्से को तारों की बाड़ से अलग कर दिया गया था।
जब गाइड यह सब बता रहा था तब वहाँ घूमने आया एक आदमी ने अपने दोस्त को बताया कि उस तरफ जाना मना है लेकिन वह तालाब सचमुच चमत्कारी है। सिक्का डालने पर इच्छा सच में पूरी हो जाती है।
मंजीत और रौनक की घरेलू परिस्थितियां लगभग एक सी थीं। अतः दोनों एक साथ ही रहते थे। रौनक के पिता नहीं थे। उसकी माँ का एक छोटा सा बुटीक था। अतः पैसों की तंगी रहती थी। मंजीत की माँ को कैंसर था। उसके पापा की सैलरी का बड़ा हिस्सा उनके इलाज पर खर्च होता था। ऊपर से तो मंजीत सबको हंसाता रहता था। किंतु अंदर ही अंदर अपनी माँ की बीमारी के कारण दुखी रहता था।
लेटे हुए उसके मन में उस आदमी के शब्द गूंज रहे थे।
‘वह तालाब सचमुच चमत्कारी है। सिक्का डालने पर इच्छा सच में पूरी हो जाती है।’
वह चाह रहा था कि उस तालाब में सिक्का डाल कर अपनी माँ की लंबी उम्र की दुआ मांगे। उसने लेटे हुए जेब में हाथ डाला। उसके पास पाँच रुपए के दो सिक्के थे। उसने रौनक से कहा।
“वो तुमने किले के पीछे वाले तालाब के बारे में सुना था। वह आदमी कह रहा था कि वहाँ सिक्का डालने से मन की इच्छा पूरी होती है। तुम मेरे साथ चलोगे उस तालाब में सिक्का डालने के लिए।”
“पर वहाँ तो जाना मना है। तार लगे हैं।”
“हाँ लेकिन वहाँ कोई निगरानी नहीं है। तार के उस तरफ जाने का रस्ता भी मिल जाएगा।”
“पर वहाँ खतरा भी है।”
“देखो मुझसे तो मेरी मम्मी की तकलीफ देखी नहीं जाती है। मैं तो जाऊँगा। तुम सोंच लो।”
उसकी बात सुन कर रौनक सोंच में पड़ गया। परेशानी उसके घर में भी थी। दूसरा वह हमेशा मंजीत का साथ देता था। लेकिन इस बार उसे यह बात रोक रही थी कि वहाँ जाने में खतरा है। उसे सोंच में देख मंजीत बोला।
“तुमको अगर मुश्किल लगे तो रहने दो। बस ध्यान रखना कि किसी को कुछ पता ना चले। मैं जल्दी लौट आऊँगा।”
रौनक ने एक पल और सोंचा फिर बोला।
“नहीं मैं भी चलूँगा तुम्हारे साथ।”
सब अपने अपने में व्यस्त थे। बच्चों को अपने में लगे देख कर मिसेज़ अलाना भी अपने मोबाइल पर लगी हुई थीं। किसी का ध्यान मंजीत और रौनक पर नहीं था। सही मौका देख कर दोनों निकल लिए।
दोनों भाग कर किले में पहुँचे। दोपहर के समय वहाँ इक्का दुक्का लोग ही थे। दोनों चुपचाप पिछले हिस्से की तरफ बढ़े। वहाँ उस समय कोई नहीं था। मंजीत ने सुबह देखा था। तार की बाड़ में एक जगह इतनी जगह थी कि कोशिश कर निकला जा सकता था। दोनों उसी जगह से दूसरी तरफ चले गए। दोनों थोड़ी दूर आगे गए तो उन्हें पेड़ों के झुरमुट के पास तालाब दिखाई दिया। दोनों संभल संभल कर कदम बढ़ाते वहाँ पहुँचे। मंजीत ने जेब से दो सिक्के निकाले। एक रौनक को दे दिया। दोनों ने सिक्का तालाब में डाला और मन ही मन अपनी इच्छा बोली।
लौटते समय मंजीत ने रौनक से सावधानी बरतने को कहा। लेकिन फिर भी रौनक का पैर फिसल गया। वह दलदल में डूबने लगा। मंजीत ने उसे बाहर खींचने के इरादे से अपना हाथ दिया तो वह भी गिर पड़ा। दोनों दलदल में थे। तालाब की तरफ झुके एक पेड़ की डाल को दोनों ने पकड़ रखा था। उनकी मदद की पुकार सुनने वाला कोई नहीं था।
बातें करते हुए बंटी ने देखा कि शेरू वहाँ नहीं था। वह इधर उधर खोजने लगा। तभी शेरू सामने से भाग कर आता दिखाई दिया। वह बंटी को खींच कर ले जाने लगा। बंटी उसके पीछे पीछे चल दिया।
जब मंजीत और रौनक सबसे नज़र बचा कर किले की तरफ जा रहे थे तब शेरू ने उन्हें देख लिया। वह भी चुपचाप उनके पीछे चलने लगा। मंजीत और रौनक तो तार की बाड़ के उस तरफ चले गए। लेकिन शेरू नहीं जा सका। वह फौरन ही बंटी को आगाह करने के लिए लौट पड़ा।
शेरू के साथ बंटी किले के पिछले हिस्से में पहुँचा। तार की बाड़ के पास उस जगह जाकर शेरू भौंकने लगा जहाँ से दोनों अंदर गए थे। बंटी को मामला कुछ कुछ समझ आ गया। बातों ही बातों में सुबह मंजीत ने उससे कहा था कि काश मैं सिक्का डाल कर अपनी मम्मी के लिए दुआ मांग सकता। तभी उसे मदद की हल्की सी पुकार सुनाई दी। उसने शेरू से कहा कि वह भाग कर और लोगों को लेकर आए। तब तक वह उनकी मदद को पहुँचता है।
इधर एल्विन का ध्यान गया कि बंटी और शेरू दोनों ही नहीं हैं। तभी सचिन बोला कि मंजीत और रौनक भी दिखाई नहीं पड़ रहे। सब लोग परेशान हो गए। मिसेज़ अलाना भी चिंतित हो गईं। मिस्टर जोसेफ ने बच्चों की ज़िम्मेदारी उन पर सौंपी थी। उसी समय शेरू उनके पास आकर भौंकने लगा। सब समझ गए कि वह किसी खतरे की सूचना देने आया है। सब उसके साथ किले के पिछले हिस्से में पहुँचे।
बंटी तार को पार कर दूसरी तरफ पहुँचा। वह आगे बढ़ने लगा। मदद की पुकार अब स्पष्ट सुनाई दे रही थी। वह आवाज़ की तरफ चलने लगा। तालाब के पास जाकर उसने देखा कि मंजीत और रौनक दोनों दलदल में हैं और पेड़ की डाल को पकड़े हुए हैं। उसने बिना देर किए इधर उधर ऐसी चीज़ ढूंढ़नी शुरू की जिससे उन लोगों की मदद की जा सके।
शेरू जिस तरह से तार की बाड़ के पास जाकर भौंकने लगा उसे देख कर एल्विन समझ गया कि तार के उस पार खतरा है। वह नील और आर्यन को लेकर मदद लेने चला गया। आदित्य शहज़ाद और स्टीवन तार के उस पार चले गए।
बंटी ने आसपास देखा उसे एक लता दिखाई पड़ी। उसे रस्सी की तरह इस्तेमाल किया जा सकता था। बंटी ने उसे अपनी कमर में लपेटा और धीरे धीरे उस पेड़ की तरफ आया जिसकी डाल को उसके दोस्तों ने पकड़ रखा था। अपने आप को उस पेड़ से सटा कर उसने लता का सिरा उन लोगों की तरफ फेंका। मंजीत ने लपक कर उसे पकड़ लिया। बंटी उसे बाहर खींचने लगा। तब तक आदित्य शहज़ाद और स्टीवन भी आ गए। स्टीवन भी बंटी के साथ मिल कर मंजीत को खींचने लगा। उधर आदित्य और शहज़ाद ने भी एक लता का सिरा रौनक की तरफ फेंका। उन लोगों ने मिल कर रौनक को भी खींच लिया।
तब तक और लोग भी आ गए। मंजीत और रौनक को सुरक्षित निकाल लिया। गया। सारी बात पता चलने पर सबने बंटी और शेरू की तारीफ की। मिसेज़ अलाना ने बंटी को गले लगा लिया।
मिसेज अलाना ने सारी बात फोन पर मिस्टर जोसेफ को बताई। उनकी सलाह पर मंजीत और रौनक को पास के अस्पताल ले जाया गया। सब ठीक था अतः उन्हें छुट्टी मिल गई।
मंजीत के मम्मी पापा ने बंटी और शेरू की खूब तारीफ की। रौनक की मम्मी ने उन दोनों को अपने घर बुला कर उनका धन्यवाद दिया।
बंटी ने मंजीत और रौनक को समझाया कि जो उन्होंने किया वह केवल पागलपन था। यदि उन्हें कुछ हो जाता तो उनके घरवालों पर तो दुख का पहाड़ टूट पड़ता। उन दोनों को बंटी की बात समझ आ गई। दोनों ने बंटी को गले लगा लिया।

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