मैं भी स्कूल में जाऊंगा कविता
Main Bhi School Main Jaunga मैं भी स्कूल में जाऊंगा
मम्मी मुझको बस्ता ले दो
मैं भी स्कूल में जाऊंगा,
A B C D पढूंगा मैं भी
क ख ग भी पढ़ कर आऊंगा
सीखूंगा बातें नयी और
आकर सब को बताऊंगा,
मम्मी मुझको बस्ता ले दो
मैं भी स्कूल में जाऊंगा।
पढ़ लिख कर इक दिन मैं भी
नाम बहुत ही कमाऊंगा
होगा गर्व तुझे उस दिन
जब देश के काम, मैं आऊंगा,
कलाम, भगत सिंह जैसा बन कर
इस जग में मैं छा जाऊंगा
मम्मी मुझको बस्ता ले दो
मैं भी स्कूल में जाऊंगा।
नील पर कविता
आसमान से हँसती-गाती
नील परी भू पर आती है,
आकर के नन्ही बगिया को
खुशबू से यह भर जाती है।
जादूगर-सी छड़ी लिए है
बैठी बच्चों के सिरहाने,
इसके आते ही फूलों से
झरने लगते मीठे गाने।
इसकी मुसकानें मोती हैं
और चाँद है इसकी बिंदिया,
बच्चे इसको खूब जानते-
कहते हैं-लो आई निंदिया!
बांसुरी वाले पर कविता
बात सात सौ साल पुरानी
सुनो ध्यान से प्यारे
हैम्लिन नामक एक शहर था
वीजर नदी किनारे।
यूं तो शहर बहुत सुन्दर था
हैम्लिन जिसका नाम
मगर वहां के लोगों का
हो गया था चैन हराम।
इतने चूहे इतने चूहे
गिनती हो गई मुश्किल
जिधर भी देखो जहां भी देखो
करते दिखते किल बिल।
बाहर चूहे घर में चूहे
दरवाजे और दर में चूहे
खिड़की और आलों में चूहे
थालों और प्यालों में चूहे।
ट्रंक में और संदूक में चूहे
फौजी की बंदूक में चूहे
अफसर की गाड़ी में चूहे
नौकर की दाढ़ी में चूहे।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण
जिधर भी देखो चूहे
ऊपर नीचे आगे पीछे
जिधर भी देखो चूहे।
दुबले चूहे मोटे चूहे
लंबे चूहे छोटे चूहे
काले चूहे गोरो चूहे
भूखे और चटोरो चूहे।
चूहे भी वो ऐसे चूहे
बिल्ली को खा जाए
चीले जान बचाएं।
चूहो से घबराकर राजा ने किया ऐलान
जो उनसे पीछा छुटवाये
पाये ढ़ेर ईनाम।
सुनकर ये ऐलान वहां पर
पहुंचा एक मदारी
मस्त कलंदर नाम था उसका
मुंह पर लंबी दाढ़ी।
झोले से बंसी निकालकर
मीठी तान बजाई
जिसको सुनकर चूहा सेना
दौड़ी दौड़ी आई।
कोनों खुदरों से निकले
और निकले महल अतारी से
नाले नाली से निकले
और निकले बक्सपिटारी से।
घर की चौखट को फलांगकर
आये ढेरों चूहें
छत के ऊपर से छलांग कर
आये ढ़ेरों चूहे।
लाखों चूहों का जलूस
चल पड़ा मदारी के पीछे
जैसे कोई डोरी उनको
लिये जा रही हो खींचे।
आगे आगे चला मदारी
पीछो चूहे सारे
चलते चलते वो जा पहुंचे
वीज़र नदी किनारे।
वहां पहुंच कर भी ना ठहरा
वो छह फुटा मदारी
उतर गया दरिया के अन्दर
पीछे पलटन सारी।
ले गया मदारी सब चूहों को
वीज़र नदी के अंदर
एक भी जिंदा नहीं बचा
सब डूबे नदी के अन्दर।
चूहों को यूं मार मदारी
राजा के घर आया
अपने इनाम का वादा उसको
फौरन याद दिलाया।
राजा बोलाः क्या कहते हो
मिस्टर मस्त कलंदर
चूहे तो खुद ही जा डूबे
वीज़र के अन्दर।
कौन सा तुमने कद्दू में
मारा है ऐसा तीर
जिसके कारण पुरस्कार
दे तुमको मस्त फकीर
देखके ऐसी मक्कारी
वो रह गया हक्काबक्का
उसके भोले मन को इससे
लगा जोर का धक्का।
गुस्से से हो आगबबूला
महल से बाहर आया
थैले से बंसी निकाल कर
सुंदर राग बजाया।
सुनकर उसकी बंसी की धुन
बच्चे दौड़े आये।
लम्बे बच्चे, छोटे बच्चे
दुबले बच्चे, मोटे बच्चे
दूर के बच्चे, पास के बच्चे
साधारण और खास से बच्चे।
अच्छे बच्चे
हम बच्चे अच्छे स्कूल के,
पक्के अपने हैं असूल के।
हिल-मिलकर सब संग में पढ़ते हैं,
दूरी रखते क्रूर से।
कदम बढ़ाकर पथ पे चलेंगे,
बुरे कर्म से सदा डरेंगे।>
विजय पताका हम गाड़ेंगे,
लोग देखेंगे दूर से।हम बच्चे अच्छे स्कूल के,
पक्के अपने हैं असूल के।
हिल-मिलकर सब संग में पढ़ते हैं,
दूरी रखते क्रूर से।
कदम बढ़ाकर पथ पे चलेंगे,
बुरे कर्म से सदा डरेंगे।>
विजय पताका हम गाड़ेंगे,
लोग देखेंगे दूर से।
कटु वचन न हम बोलेंगे,
सच की तराजू पर तौलेंगे।>
थाल सजा के करेंगे पूजा,
जलेंगे दीप कपूर के।
कटु वचन न हम बोलेंगे,
सच की तराजू पर तौलेंगे।>
थाल सजा के करेंगे पूजा,
जलेंगे दीप कपूर के।