Ranthambore Fort Sawai Madhopur रणथंभौर किले की जानकारी हिंदी मैं

By | March 14, 2021
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रणथंभौर किले की पूरी जानकारी हिंदी मैं

Ranthambore Fort Sawai Madhopur रणथंभौर किले की जानकारी हिंदी मैं राजस्थान का एक बहुत ही शानदार किला है जो राज्य के रणथंभौर में स्थित चौहान शाही परिवार से संबध रखता है। बताया जाता है कि यह शाही किला 12 वीं शताब्दी सेअस्तित्व में है और यह राजस्थान में उन लोगों के लिए एक परफेक्ट पर्यटन स्थल है जो रॉयल जीवन को देखने के इच्छुक हैं। यह आकर्षक किला रणथंभौर नेशनल पार्क के जंगलों के बीच स्थित है, जहां पर नेशनल पार्क से किले का दृश्य और किले से पार्क का दृश्य दोनों ही देखने लायक है। रणथंभौर किले को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है क्योंकि यह राज्य का एक खास पहाड़ी किला है। रणथंभौर नेशनल पार्क के घने जंगल कभी राजघराने का शिकारगाह थे। रणथंभौर किला बड़ी- बड़ी दीवारों से घिरा हुआ है, जिसमें पत्थर के मजबूत मार्ग और सीढ़ियाँ हैं जो किले में ऊपर की तरफ लेकर जाती है।  इस दुर्ग का निर्माण 944 ई मे चौहान राजा रणथान देव ने बनवाया था ओर उसी के नमानुसार इसका नाम रनथंभपुर रखा गया जो कालांतर मे रणथम्भौर हो गया एक किंवदंती के अनुसार रणथम्भौर का दुर्ग चंदेल राव जेता ने बनवाया था अधिकांश इतिहासकारो की मान्यता है की 8 वी सताब्दी के लगभग महेश्वर के शासक रांतिदेव ने  इस दुर्ग का निर्माण करवाया था।

Ranthambore Fort Sawai Madhopur रणथंभौर किले की जानकारी हिंदी मैं

Ranthambore Fort Sawai Madhopur रणथंभौर किले की जानकारी हिंदी मैं

रणथंभौर किले का निर्माण 

रंतिदेव संभवत चौहान शासक था क्योकि यह तथ्य तो निर्विवाद है कि चौहनों ने इस प्रदेश पर करीब 600 वर्षों तक शासन किया था चाहे जो भी इसका निर्माता रहा हो  किंवदंतियो एवं एतिहासिक आधारो पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 10 वी सताब्दी तक यह दुर्ग अस्तित्व मे आ गया था रणथम्भौर का दुर्ग के मध्य मे राजमहल भग्नावशेष दिखाई देते है यह राजमहल सात खंडो मे निर्मित है जिनमे तीन खंड ऊपर ओर चार खंड नीचे बने हुये है यह राजमहल जीर्ण शीर्ण हो चुका है फिर भी इसके विशाल खंभे सुरंगनुमा गलियारे भैरव मंदिर रसद कक्ष शस्त्रागर आदि उस युग की स्थापत्य कला के नमूने है। इस महल के पिछवाड़े मे एक उध्यान है जिसमे एक सरोवर भी है इस उध्यान से एक मस्जिद के खण्डहर देखाई देते है जिसे अलाउद्दीन खिलजी ने दुर्ग पर अधिकार करने के बाद बनवाया था  राजमहलों के आगे चौहान वंशी शासको द्वारा निर्मित गणेश मंदिर है इस गणेश मंदिर की आज भी बड़ी प्रतिष्ठा है इस मंदिर के पूर्व की ओर एक अज्ञात जल स्त्रोत का  भण्डार है इस कुंड मे वर्ष प्रयत्न स्वच्छा शीतल जल रहता है।

रणथंभौर किले के मन्दिर की उत्पति और विकाश 

इस जल स्त्रोत से थोड़ी दूर विशाल कमरों वाली इमारत है ये इमरते एक खाद्य सामग्री के गोधम थे गणेश मंदिर के पीछे शिव मंदरी भी है एसी किंवदंती है की अलाउद्दीन खिलजी को परास्त करके विजयी हम्मीर ने जब अपनी रानीओ जौहर की घटना सुनी तब वे बड़े दुखी हुये ओर उन्होने अपने अराध्ये देव शिव को अपना सिर काटकर अर्पित कर दिया इस शीव मंदिर के पास सामंतों की हवेलिया तथा बादल महल है।बादल महल जाली झरोखों अलंकृत है बादल महल से करीब एक किलोमीटर दूर एक ओर विशाल इमारत है जिसे हम्मीर कचहरी भी कहते है।

रणथंभौर किला ने सैकम्भारी के चाहमना साम्राज्य का महत्वपूर्ण हिस्सा बना लिया। यह महाराजा जयंत द्वारा निर्मित होने के लिए कहा जाता है।  यादवों ने इस पर शासन किया और बाद में दिल्ली के मुस्लिम शासकों ने किले पर कब्जा कर लिया। हमीर देव रणथंभोर का सबसे शक्तिशाली शासक थे । निम्नलिखित पोल्स  किले में स्थित हैं

रणथंभौर किले पर युद्ध का वर्णन 

रणथंभोर किले पर आक्रमणों की लम्बी कहानी है जिसकी शुरुआत दिल्ली के कुतुबुद्दीन ऐबक से शुरू हुई और मुगल बादशाह अकबर तक चलती रही। मुहम्मद गौरी व चौहानो के मध्य इस किले की प्रभुसत्ता के लिये ई.स1209 में युद्ध हुआ। इसके बाद ई.स1226 में इल्तुतमीश ने ई.स1236 में रजिया सुल्तान ने ई.स1248-58 में बलबन ने, ई.स1290-1292 में जलालुद्दीन खिल्जी ने, ई.स1301 में अलाऊद्दीन खिलजी ने, ई.स1325 में फ़िरोजशाह तुगलक ने, ई.स1489 में मालवा के मुहम्म्द खिलजी ने, ई.स1529 में महाराणा कुम्भा ने, ई.स1530 में गुजरात के बहादुर शाह ने, ई.स1543 में  शेरशाह सुरी ने आक्रमण किया।

रणथंभौर किले का प्राकर्ति सोंदर्य

किले के तीनो ओर पहाडों में प्राकृतिक खाई बनी है, जो इसकी सुरक्षा को मजबूत कर अजेय बनाती है। इस किले पर अपना आधिपत्य ज़माने के लिए इतिहास में काफी बार आक्रमण हुए थे, साल 1209 मे मुहम्मद गौरी व चौहानो के बीच इस दुर्ग की प्रभुसत्ता के लिए भीषण युद्ध हुआ था।ण किले के अंदर गणेश शिव और रामलाजी को समर्पित तीन हिंदू मंदिर भी बने हुए है। यहां की एक पहाड़ी पर राजा हम्मीर के घोड़े के पद चिन्ह आज भी छपे हुए हैं, यूनेस्को द्वारा 21 जून 2013 को रणथंभोर किले को विश्व धरोहर स्थल के रूप घोषित किया गया था। रणथंभौर किले का प्रवेश शुल्क भारतीय नागरिको के लिए 25 रूपए, छात्रों के लिए 10 रूपए और विदेशी नागरिको के लिए 200 रूपए है। यह किला सैलानियों के लिए सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुलता है।

रणथंभौर किले मैं खाने के बारे मैं विचार

रणथंभौर अपने किले और वन्यजीवों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है लेकिन यहां आप को कोई खास भोजन नहीं मिलता क्योंकि रणथंभौर में कोई महत्वपूर्ण संस्कृति या अद्वितीय व्यंजन नहीं हैं | लेकिन आपको यहां आपको खाने के कई रिसॉर्ट्स उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप यहाँ के कई स्थानीय ढाबों को भी आजमा सकते हैं। यहां के ढाबों  में आप स्थानीय राजस्थानी और पंजाबी व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं।

 

रणथंभौर किले के लिए अगर जाये तो यात्रा कैसे करे जानकारी हिंदी मैं 

अगर आप रणथंभौर किले की यात्रा हवाई जहाज से करना चाहते हैं तो बता दें कि इसका निकटतम हवाई अड्डा जयपुर में स्थित है। किला जयपुर शहर से सिर्फ 180 किमी दूर स्थित है। जयपुर हवाई अड्डे से किले तक जाने के लिए आप कोई भी कैब या टैक्सी किराये पर ले सकते हैं, इसके साथ ही आप बस सेवा ले सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से रणथंभौर किला जाने का प्लान बना रहे हैं तो बता दे कि रणथंभौर फोर्ट माधोपुर से सिर्फ 16 किमी की दूरी पर स्थित है। सवाई माधोपुर और रणथंभौर के बीच कई बड़े उपलब्ध हैं। आप सवाई माधोपुर से टैक्सी या कैब की मदद से भी किले तक पहुँच सकते हैं।

 

 

 

 

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