Nahargarh kila in Jaipur City जयपुर के नाहरगढ़ किले की बारे मैं जानकारी

By | March 13, 2021
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नाहरगढ़ किले के बारे मैं जानकारी हिंदी मैं

Nahargarh kila in Jaipur City जयपुर के नाहरगढ़ किले की बारे मैं जानकारी नाहरगढ़ का किला जयपुर को घेरे हुए अरावली पर्वतमाला के ऊपर बना हुआ है। आरावली की पर्वत श्रृंखला के छोर पर आमेर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस किले को सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने सन १७३४ में बनवाया था।

यहाँ एक किंवदंती है कि कोई एक नाहर सिंह नामके राजपूत की प्रेतात्मा वहां भटका करती थी। किले के निर्माण में व्यावधान भी उपस्थित किया करती थी। अतः तांत्रिकों से सलाह ली गयी और उस किले को उस प्रेतात्मा के नाम पर नाहरगढ़ रखने से प्रेतबाधा दूर हो गयी थी। १९ वीं शताब्दी में सवाई राम सिंह और सवाई माधो सिंह के द्वारा भी किले के अन्दर भवनों का निर्माण कराया गया था जिनकी हालत ठीक ठाक है जब कि पुराने निर्माण जीर्ण शीर्ण हो चले हैं। यहाँ के राजा सवाई राम सिंह के नौ रानियों के लिए अलग अलग आवास खंड बनवाए गए हैं जो सबसे सुन्दर भी हैं। इनमे शौच आदि के लिए आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था की गयी थी। किले के पश्चिम भाग में “पड़ाव” नामका एक रेस्तरां भी है जहाँ खान पान की पूरी व्यवस्र्था है। यहाँ से सूर्यास्त बहुत ही सुन्दर दिखता है

 

नाहरगढ़ किले की कार्य प्रणाली

इस किले मैं राजा के आलावा किसी की नही चलती मनमानी कार्य को लेकर कोई भी निर्णय राजा के हाथ मैं होती है इसके साथ ही आपको एक परिसर में सवाई माधोसिंह द्वारा निर्मित एक “माधवेन्द्र भवन” भी देखने को मिलेगा। इस किले की संरचना दो मंजिला इमारत है जिन्हें राजा और उनकी बारह रानियों के लिए बनाया गया था। नौ समान अपार्टमेंट में विभाजित इस किले प्रत्येक में एक लॉबी, बेडरूम, शौचालय, रसोई और स्टोर बना हुआ है। इन सब के अलावा महल के अन्य आकर्षणों में दीवान-ए-आम भी है जहाँ राजा अपने लोगों से मिलते थे और उनकी समस्याओं और शिकायतों को सुनते थे।

नाहरगढ़ किले का राज एवं इतिहास की जानकारी हिंदी मैं 

नाहरगढ़ किला राजस्थान का एक बहुत ही आकर्षक किला है जो अपने पीले रंग के साथ गुलाबी नगरी जयपुर में बहुत आकर्षक दिखाई देता है। इस किले को सवाई राजा मान सिंह ने अपनी रानियों के लिए बनवाया था, लेकिन राजा की मृत्यु के बाद नाहरगढ़ किले को भूतिया कहा जाने लगा था। लोगों का मानना है कि इस किले में राजा का भूत रहता है। यहां के स्थानीय लोगों अनुसार यहां पर एकदम से तेज हवाएं चलने लगती है और कई बार दरबाजे के कांच टूट कर गिर जाते हैं। यहाँ कभी-कभी एक दम से गर्मी और एक दम से ठण्ड महसूस होने लगती है। किले में जाने वाले कई लोगों को कुछ अजीब चीजों का एहसास हो चुका है। बताया जाता है कि इस किले के पुनर्स्थापना संगठन के मालिक को अपने घर में रहस्यमय तरीके से मारा हुआ पाया गया

नाहरगढ़ किले मैं जानवरों का परकोप 

नाहरगढ़ किले के परिसर आकर्षक संरचनाओं के अलावा एक नाहरगढ़ जूलॉजिकल पार्क भी स्थित है जो इस किले का एक खास आकर्षण है। नाहरगढ़ अभयारण्य के 7.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले, जैविक पार्क को बारीक ग्रेनाइट और क्वार्टजाइट चट्टानों से सजाया गया है। यह पार्क अपने समृद्ध वनस्पतियों के लिए जाना जाता है जिसमें आप कई जानवरों को उनके प्राकृतिक परिवेश में देख सकते हैं। इस जैविक पार्क में एशियाई शेर, बंगाल टाइगर और भारतीय तेंदुआ भी पाए जाते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि इस पार्क में पक्षियों की 285 प्रजातियां भी पाई जाती है जो पक्षी प्रेमियों को बेहद आकर्षित करती हैं। नाहरगढ़ जूलॉजिकल यहाँ एक और ऐसा खास पर्यटक केंद्र है जहां पर एशियाई शेर, बंगाल टाइगर, पैंथर, भेड़िये, हिरण, लकड़बग्घा, मगरमच्छ, हिमालयी काला भालू, सुस्त भालू, जंगली सूअर, आदि जैसे जानवर पाए जाते हैं।

नाहरगढ़ किले मैं खाना का आज भी पुराना सवाद है 

चूरमा बाटी दाल जयपुर भारत के सबसे खास पर्यटक शहरों में से एक है इसलिए आप यहां पर एक से बढ़कर एक व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं। यहाँ पर कई ऐसे रंगीन स्थानीय भोजन उपलब्ध है जिसका स्वाद चखकर पर्यटक उँगलियाँ चाटने पर मजबूर हो जाते हैं। महाराजाओं और महारानियों द्वारा प्रभावित एक पारंपरिक राजस्थानी थाली में आप एक से बढ़कर एक चीजों का स्वाद चख सकते हैं।

यहाँ के दाल बाटी चूरमा, इमरती और घेवर जैसी मिठाइयों और प्रसिद्ध चाट जैसे भव्य व्यंजनों को खाए बिना जयपुर की यात्रा अधूरी है। यहां की मिठाइयाँ बहुत लोकप्रिय हैं

जिसमें घेवर, इमरती, हलवा, चोइर्मा, गजक, मूंग थाल और बहुत कुछ शामिल हैं। हालांकि जयपुर में बढ़िया भोजन के लिए कई विकल्प हैं लेकिन आप जहां के जोहरी बाज़ार की उत्तम और स्थानीय स्ट्रीट फूड का मजा भी ले सकते हैं।

 

नाहरगढ़ किले से जयपुर का रात में नजारा 

अगर आप नाहरगढ़ फोर्ट जाने का प्लान बना रहें तो बात दें कि यहां जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है जो अक्टूबर से मार्च तक होती हैं और जयपुर शहर में यात्रा करने के लिए यह सबसे अच्छा समय है। इस मौसम में दिन बहुत अच्छे होते हैं लेकिन रातें 4 ° C से कम ठंडी होती हैं। अगर आप इन महीनों में यात्रा करते हैं तो अपने साथ ऊनी कपड़े जरुर ले जाएँ। यहां गर्मी अप्रैल से जून तक पड़ती है और इस इस दौरान मौसम बहुत गर्म और शुष्क होता है। इस समय जयपुर का तापमान 44 ° C – 45 ° C तक हो जाता है और गर्म हवाएं भी चलती हैं। जुलाई से सितंबर तक यहां मानसून का समय होता है लेकिन जयपुर में बारिश ज्यादा नहीं होती।

जयपुर जिले में सांगानेर से नाहरगढ़ किले की दूरी करीब 34 किलोमीटर है, जहाँ पहुंचने के लिए आप किसी भी टैक्सी या कैब की मदद ले सकते हैं।

 

अगर आप नाहरगढ़ का किला को देखने का प्लान बना रहे है तो लोकेशन पर क्लिक करे आपको नाहरगढ़ किले तक पहुचाने मैं सहयता प्रधान करेगा
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