Introduction of Mira Bai मीरा बाई का परिचय

By | June 11, 2022
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Meera Bai in Hindiमीरा बाई का परिचय

Introduction of Mira Bai मीरा बाई का परिचय :- कृष्ण भक्ति कवयित्री व गायिका मीरा बाई सोहलवी सदी में भारत के महान संतो में से एक थी | मीरा को’ राजस्थान की राधा’ भी कहा जाता है | इनका जन्म मेड़ता के राठौड राव दूदा के पुत्र रतनसिंह के घर में कुडकी (पाली ) नामक ग्राम में 1498 ई . के लगभग हुआ था | इनके पिता रतनसिंह राठोड बजोली के जागीरदार थे | मीरा का लालन –पालन अपने दादाजी के यहाँ मेड़ता में हुआ |

मीरा बाई का विवाह

इनका विवाह 1516 ई. में रना सांगा के ज्येष्ठ पुत्र युवराज भोमराज के साथ हुआ था , विवाह के एक-दो साल बाद 1518 ई. में भोजराज को दिल्ली सल्तनत के खिलाफ युद्ध में जाना पड़ा। 1521 में महाराणा सांगा व मुगल शासक बाबर के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में राणा सांगा की हार हुई जिसे खानवा के युद्ध के नाम से जाना जाता है।

खानवा के युद्ध में राणा सांगा व उनके पुत्र भोजराज की मृत्यु हो गई। ,पर विवाह के कुछ वर्ष पश्चात ही पति की मृत्यु हो जाने से यह तरुण अवस्था में ही विधवा हो गई |

मीरा को मारने के किये प्रयत्न

मीरा का साधू _संतो में उठना -बेठना और उनके साथ भजन कीर्तन करना इनके देवर राना विक्रमादित्य को पसंद नहीं आया | विक्रमादित्य ने मीरा को जहर देने तथा सर्प से कटवाने का भी प्रयत्न किया ,किन्तु मीरा की कृष्ण भक्ति कम नहीं हुई |

कृष्ण भक्ति के प्रति मीरा का भाव

कृष्ण भक्ति का विचार मीरा को अपनि दादी से प्राप्त हुआ था | एक बार एक बारात को दुल्हे सहित जाते देखकर बालिका मीरा अत्यधिक प्रभावित हुई और अपनी दादी के पास जाकर उत्सुकता से अपने दुल्हे के बारे में पूछने लगी | दादी ने तुरंत ही गिरधर गोपाल का नाम बता दिया | मीरा को तभी से गिरधर गोपाल की लगन लग गई |

मीराबाई की रचनाएँ

कृष्ण-भक्ति में आसक्त मीराबाई की रचनाएँ निम्नलिखित है-

राग गोविंद
गीत गोविंद
नरसी जी का मायरा
मीरा पद्मावली
राग सोरठा
गोविंद टीका
मीराबाई की पदावलियां बहुत प्रसिद्ध रही है। मीराबाई की भक्ति कांता भाव की भक्ति रही है उन्होंने ज्ञान से ज्यादा महत्व भावना व श्रद्धा को दिया।

मीराबाई की मृत्यु

मीरा अपने अंतिम समय 1547 में गुजरात में द्वारिका के डाकोर स्तिथ रणछोड़ मंदिर में चली गई और वही 1547 ई.में अपने गिरधर गोपाल में विलीन हो गई | मीरा जी की पदावलियाँ प्रसिद्ध है |

इनकी भक्ति की मुख्य विशेषता यह थी की उन्होंने ज्ञान से अधिक भावना व श्रद्धा को महत्व दिया |मीरा की भक्ति माधुर्य भाव की रही |

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